मेरठ, एबीपी गंगा। मेरठ के हस्तिानपुर स्थित पांडव टीले पर इन दिनों सफाई की जा रही है. बीते दिनों यहां प्राचीन काल के बर्तन मिले थे. अब इस बार हड़प्पा काल का एक बर्तन भी मिलने की बात कही जा रही है. इस बर्तन के अंदर कुछ अलग तरह की मिट्टी प्राप्त हुई है.
एक बर्तन में तो कोयले के अवशेष मिले है. जानकारों का कहना है कि ये स्थल हड्डी, मृदभांडों से भरा हुआ है. नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रियंक भारती का कहना है कि इस स्थल पर पूर्व में कभी उत्खनन नहीं हुआ है. इस तरह के अवशेष मिलना आश्चर्यजनक है. उनका कहना है कि अगर यहां उत्खनन कराया जाए तो कई राज खुल सकते हैं.
प्रियंक के मुताबिक, इस स्थल पर उत्खनन होने से सिनौली से भी बड़ी बरियल साइट मिल सकती है. बर्तनों के साथ हड्डियां मिलना इस बात की तस्दीक करता है. सभी अवशेष हस्तिनापुर कार्यालय में कार्यरत अरविंद राणा को सौंप दिए गए हैं. अरविंद राणा का कहना है कि तत्काल ही उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है.
थोड़ी दिन पहले मिले थे अवशेष
कुछ दिन पहले हस्तिनापुर से ही दीपक मिट्टी का कटोरा घड़े आदि के अवशेष मिले थे. इन अवशेषों को एएसआई कार्यालय को सुपुर्द किए गए थे. बीते दिनों यहां कर्ण मंदिर के पास प्राचीन बर्तनों के अवशेष मिले थे. मां कामाख्या सिद्ध पीठ के पास से पुरातन अवशेष मिलने से रिसर्च कर रहे लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है. बताया जाता है कि मिट्टी खिसकने से यहां वर्षों पुराने अवशेष मिल रहे हैं.
पहले भी मिले हैं अवशेष
इस उल्टा खेड़ा का उत्खनन वर्ष 1950-52 में हुआ था. तब यहां खुदाई के दौरान डा. बीबी लाल को उल्टा खेड़ा टीला और बूढ़ी गंगा के समीप से प्रचुर मात्रा में अवशेष प्राप्त हुए थे. जिन्हे 1100-800 ईसा पूर्व के कालखंड में रखा गया था. यहीं बर्तन महाभारत में वर्णित कई स्थलों से प्राप्त किए गए हैं. जानकारों का कहना है कि अगर यहां पर फिर से उत्खनन हो तो यहां और भी महाभारतकालीन अवशेष मिल सकते हैं. मिट्टी के खिसकने से की वजह से ये अवशेष मिल रहे हैं. अगर यहां दोबारा उत्खनन हो तो और भी रहस्य पर से पर्दा उठ सकता है लेकिन फिलहाल यहां उत्खनन पर रोक लगी हुई है.
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