आगरा: जहांगीर-नूरजहां की मुलाकात का साक्षी रहा है मीना बाजार, ASI ने शुरू किया मरम्मत का काम
आगरा का मीना बाजार जहांगीर, नूरजहां से लेकर अकबर तक के किस्सों का साक्षी रहा है. इसका ऐतिहासिक महत्व भी किताबों में दर्ज है. ASI ने मीना बाजार की फर्श को संरक्षित किया है. वहीं इसकी मरम्मत भी करवाई जा रही है.
आगरा: आगरा किला जहां से मुगलिया सल्तनत लंबे समय तक चलाई गई. उस किले में दफन हैं एक से एक बेहतरीन कहानियां और किस्से. वो किस्से आज भी लोगों की जुबान पर अक्सर चर्चा में रहते हैं. उनमें से एक है मुगल बादशाह जहांगीर और नूरजहां की पहली मुलाकात का किस्सा. बताया जाता है आगरा किला स्थित मीना बाज़ार में ही पहली बार दोनों की मुलाकात हुई थी, बाद में नूरजहां के इश्क में पड़कर जहांगीर ने उन्हें बेगम बना लिया था. साथ ही मीना बाज़ार ही वो जगह है जहां अकबर के समय से ही सभी दुकानें केवल वहां युवतियां और महिलाएं संचालित करती थीं. जहां अकबर से लेकर राजघराने से जुड़े लोग ही खरीदारी करने आते थे.
मीना बाजार की मरम्मत
आज मुगल बादशाह जहांगीर और नूरजहां की पहली मुलाकात का साक्षी रहा मीना बाज़ार के मरम्मत का काम किले के भीतर भारतीय पुरात्तव विभाग जोरों सोरों से करवा रहा है. अब तक यह हिस्सा आर्मी के कब्जे में था, लेकिन लगातार जीर्ण शीर्ण होते मीना बाजार को संरक्षित करने और उसका पुराना वैभव वापस लाने के लिए आगरा किला स्थित मीना बाजार के तीसरे कांप्लेक्स में रास्ते के अधूरे काम को पूरा करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा टेंडर किया गया है. यहां 7.5 मीटर चौड़े और 128.8 मीटर लंबे रास्ते के प्राचीन फर्श के संरक्षण को एस्टीमेट तैयार कर काम शुरू कराया गया था. यहां मलबा हटाने व खुदाई करने पर 19.4 मीटर चौड़ाई में पुराना फर्श मिला. इसके बाद विशेष अनुमति प्राप्त कर बचे काम को पूरा करने के लिए टेंडर किया गया है.
मुगलकालीन फर्श को संरक्षित किया गया
आगरा किला में मीना बाजार है. यह पर्यटकों के लिए बंद है. मीना बाजार तीन कांप्लेक्स में बंटा हुआ है. मोती मस्जिद से दिल्ली गेट की तरफ जाने वाले रास्ते पर दोनों ओर दुकानें हैं. यहां दो कांप्लेक्स में मुगलकालीन फर्श को उसके मूल स्वरूप में पहले ही संरक्षित किया जा चुका है. सितंबर की शुरुआत में तीसरे कांप्लेक्स में एएसआइ ने मुगलकालीन फर्श के संरक्षण का काम शुरू कराया था. अन्य दो कांप्लेक्सों के समान एएसआइ ने यहां भी 7.5 मीटर चौड़ा रास्ता मानते हुए एस्टीमेट तैयार कराया था. जब यहां काम शुरू किया गया तो खुदाई करने व मलबा हटाने पर रास्ते के दोनों किनारों के बीच 19.4 मीटर चौड़ा मुगलकालीन फर्श मिला. स्वीकृत एस्टीमेट के अनुसार रा मीना बाजार का कांपलेक्स के फर्श का 65 फीसद भाग ही संरक्षित किया जा सका. इसे देखते हुए एएसआइ ने अब दिल्ली मुख्यालय से स्वीकृति लेकर बचे काम को पूरा कराने को टेंडर किया है. इस पर करीब 23.32 लाख रुपये व्यय होंगे.
मुगलों ने दिया मीना बाजार का कांसेप्ट
मीना बाजार ऐतिहासिक जगह है. वरिष्ठ गाइड शमसुद्दीन कहते हैं कि मीना बाजार का कांसेप्ट मुगलों ने दिया. शाही फैमिली आम बाजारों में खरीदारी करने नहीं जाती थी इसलिए किले में ही सुरक्षित माहौल में मीना बाजार के अंदर लगाई गई दुकानों पर ही बादशाह और उनके परिवार के लोग खरीदारी किया करते थे लेकिन मीना बाजार में सभी महिला दुकानदार ही हुआ करती थी और ऐसे में अक्सर बादशाह मीना बाजार का भ्रमण करने भी चले जाया करते थे. मीना बाजार साप्ताहिक, मासिक या किसी त्यौहार के अवसर पर लगता था, जहां शहर भर की लड़कियां यहां कारोबार करने आया करती थीं.
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