अयोध्या फैसला: बुंदेलखंड में दिखी गंगा-जमुनी तहजीब, हिन्दू-मुस्लिम धर्मगुरु एक-दूसरे के गले मिले
बुंदेलखंड के बांदा, चित्रकूट, महोबा, जालौन, झांसी और ललितपुर में शनिवार को रोजाना की भांति बाजार खुले रहे और लोग बेहिचक अपने रोजमर्रा के काम करते रहे. हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से जगह-जगह पुलिस बल जरूर तैनात रहा.
बुंदेलखंड: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले में शनिवार को सुनाए गए ऐतिहासिक फैसले की बुंदेलखंड में जमकर तारीफ की गई और वीर भूमि महोबा में हिन्दू-मुस्लिम धर्मगुरुओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई और आपस में गले मिलकर उन्होंने सामाजिक सौहार्द की मिसाल पेश की. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन रामलला को दे दी. साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन अयोध्या में ही देने का एलान किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए तीन महीनों के अंदर एक ट्रस्ट बनाए.
सबसे अच्छी गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल आल्हा-ऊदल की नगरी महोबा में देखने की मिली, जहां हिंदू धर्मगुरु और आल्हा परिषद के अध्यक्ष शरद तिवारी 'दाऊ', शहर काजी आफाक हुसैन के घर गए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी का इजहार करते हुए एक-दूसरे को पहले मिठाई खिलाई, फिर गले मिलकर बधाइयां दी.
आल्हा परिषद के अध्यक्ष शरद तिवारी ने कहा, "फैसला किसी के पक्ष में आता, हमें मंजूर होता. हम पहले भी एक थे और आज भी एक हैं. अदालती फैसले से हमारी एकता और सौहार्द में फर्क नहीं पड़ता."
उन्होंने कहा कि "महोबा वीर आल्हा और ऊदल की धरती है, जिनके गुरु ताला सैय्यद थे. यहां हमेशा सामाजिक सौहार्द कायम रहा है. अब मैं मस्जिद निर्माण के लिए एक ईंट लेकर अयोध्या जाऊंगा और शहर काजी मंदिर के लिए एक ईंट लेकर जाएंगे."
शहर काजी आफाक हुसैन ने कहा, "इस फैसले से हिन्दू-मुस्लिम में मोहब्बत और बढ़ेगी. कुछ असामाजिक तत्वों ने इस अपनेपन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन वे नाकाम रहे और ऐसा ही प्यार-मोहब्बत पूरे मुल्क में भी होना चाहिए."
उन्होंने भी कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए वह एक ईंट लेकर जरूर जाएंगे और भाईचारे का पैगाम देंगे.
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