मध्य प्रदेश के मुरैना से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर चंबल के जंगलों में स्थित बटेश्वर मंदिर अपनी ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर भगवान शिव, विष्णु और सती को समर्पित है. चंबल के इन जंगलों में एक साथ 200 विशालकाय मंदिर स्थापित हैं हालांकि इनमें अधिकतर मंदिरों ने अब खंडहर का रूप ले लिया है. पुरातत्वों के अनुसार इन मंदिरों का निर्माण चौथी सदी में बनाया गया था. वहीं कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इनका निर्माण 8 से 10वीं सदी के बीच हुआ था.
इतिहास
मध्य प्रदेश के मुरैना से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बटेश्वर मंदिर का निर्माण तकरीबन आठवीं शताब्दी में प्रतिहार वंश के राजाओं ने करवाया था. इतिहासकारों के मुताबिक इन मंदिरो का निर्माण कार्य सम्राट विजयपाल प्रतिहार के शास काल में पूरा हुआ था. यह मंदिर बलुआ पत्थरों से बने अधिकांश मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं. मंदिर परिसर 25 एकड़ में फैला हुआ है.
कई रहस्यों से घिरा है यह मंदिर
पर्यटकों के लिए स्थान काफी जिज्ञासा से भरा होता है यह स्थान कई रहस्यों से भरा हुआ है. यहां आने वाले लोगों के मन में एक ही सवाल होता है आखिर एक ही स्थान पर इतने मंदिर क्यों बनवाए गए इसके अलावा सभी मंदिरों में शिवलिंग एक जैसे क्यों है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह शिवलिंग साधना के लिए बनवाएं गए थे हालांकि इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं मिलती है.
वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना
इस मंदिर की कलाकृति आठवीं शताब्दी के मिलते हैं. मंदिर की वास्तुकला कारीगरी की उत्कृष्ट नमूना है. हालांकि यहां स्थित कई मंदिर अब ध्वस्त हो गए हैं. दरअसल मुगल काल के दौरान कई मंदिरों को तोड़ दिया गया. इसके अलावा मंदिर के पास हुए उत्खनन की वजह से कई मंदिर गिर गए.
सबसे पहले साल 1882 में इस स्थान को अलेक्जेंडर कनिंघम ने चिन्हित किया था. इसके बाद प्रोफेसर माइकल मीस्टर ने यहां सर्वे किया. साल 2005 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने पुरातत्व अधिकारी केके मोहम्मद के नेतृत्व में मंदिरों का संरक्षण शुरू किया गया. इस दौरान तकरीबन 60 मंदिरों को पुननिर्मित किया गया.
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