पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण से उत्पन्न स्थिति की रोकथाम और विभिन्न नदियों के बढ़े जलस्तर को लेकर सरकार की ओर से किए जा रहे कामों के संबंध में सचिव, सूचना और जन सम्पर्क अनुपम कुमार, सचिव स्वास्थ्य लोकेश कुमार सिंह सहित अधिकारियों ने मंगलवार को विस्तृत जानकारी दी.


गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने की आशंका


जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस ने राज्य के विभिन्न नदियों के जलस्तर और बाढ़ सुरक्षात्मक तटबंधों पर बताया कि गंडक नदी के जलग्रहण क्षेत्र के 22 स्टेशनों का विश्लेषण किया गया है, जिसके अनुसार गंडक का डिस्चार्ज लगभग 4,16,000 क्यूसेक पर है. इसको लेकर बेतिया, मोतिहारी, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, छपरा और वैशाली के जिला प्रशासन को अलर्ट किया गया है.


गंडक नदी का जलस्तर 5,00,000 क्यूसेक तक जाने की संभावना है. इसको लेकर सभी संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. बूढ़ी गंडक नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भी काफी बारिश हुई है. बूढ़ी गंडक नदी का जलस्तर खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है. इसके अलावा बागमती और अधवारा समूह की नदियों में भी पिछले 24 घंटे में काफी अधिक बारिश हुई है. इसको लेकर सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और खगड़िया जिले को अलर्ट किया गया है.


आपदा प्रबंधन विभाग सतर्क


आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र नायडू ने बताया कि बिहार की विभिन्न नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क है. बेतिया, गोपालगंज, छपरा, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी में पहले से ही एक-एक एनडीआरएफ की टीम तैनात है. इसके अलावा मुजफ्फरपुर और वैशाली में एक-एक एसडीआरएफ टीम की तैनाती की गयी है. गोपालगंज में एनडीआरएफ की दो टीम, छपरा, बेतिया और मोतिहारी में एक-एक टीम की तैनाती की गयी है.


8 जिले अधिक प्रभावित


एसडीआरएफ की एक अतिरिक्त टीम भी मोतिहारी में लगायी गयी है. पूर्वी चम्पारण और पश्चिमी चंपारण में लोगों को निकालने की कार्रवाई की जा रही है. नदियों के बढ़े जलस्तर से बिहार के 8 जिले सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, एवं पूर्वी चम्पारण के कुल 34 प्रखंडों की 190 पंचायतें प्रभावित हुई हैं, जहां आवश्यकतानुसार राहत शिविर चलाए जा रहे हैं.   . उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग सम्पूर्ण स्थिति पर लगातार निगरानी रख रहा है.


अनुपम कुमार ने बताया कि कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मुख्य सचिव की ओर से नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है और सभी जरूरी निर्देश दिए जा रहे हैं. मंगलवार को भी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक हुई है, जिसमें यह फैसला लिया गया है कि एंटीजन टेस्टिंग अब टारगेट बेस्ड नहीं होगा बल्कि यह डिमांड बेस्ड होगा.


ऑन डिमांड एंटीजन टेस्टिंग


अब सभी अनुमंडल अस्पतालों में ऑन डिमांड एंटीजन टेस्टिंग की सुविधा शुरू हो गयी है और स्वास्थ्य विभाग को यह लक्ष्य दिया गया है कि इस सप्ताह के अंत तक सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ऑन डिमांड एंटीजन टेस्टिंग की सुविधा शुरू हो जाए ताकि सिम्टोमैटिक लोग अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर अपनी इच्छानुसार टेस्टिंग करा सकें. उन्होंने बताया कि कोविड-19 को लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं का लगातार विस्तार किया जा रहा है और इसमें अब प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल किया जा रहा है.


डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल की ट्रैनिंग


कोविड-19 का जो ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल है, इससे संबंधित ट्रेनिंग एक बार फिर डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को कराने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिया गया है. स्वास्थ्य विभाग को बेड्स की संख्या और अधिक बढ़ाने के लिए कहा गया है. जो लोग पॉजिटिव पाए गए हैं, लेकिन उनमें लक्षण नहीं हैं, उन्हें होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है. होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों की लगातार निगरानी भी किया जा रही है.


 कंटेनमेंट जोन में सभी हाई रिस्क कॉन्टैक्ट की टेस्टिंग


कंटेनमेंट जोन में जो हाई रिस्क कॉन्टैक्ट हैं, उन सभी की टेस्टिंग सुनिश्चित हो. हॉस्पिटल्स में प्रॉपर रिसेप्शन प्वाईंट की स्थापना कराने का भी निर्णय लिया गया है ताकि लोगों को जानकारी प्राप्त करने में या अपनी बात कहने में किसी प्रकार की परेशानी न हो.


रिकवरी रेट 65.61 प्रतिशत


स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना से पिछले 24 घंटे में 1,206 लोग स्वस्थ हुए हैं. अब तक 18,741 लोग कोविड-19 संक्रमण से स्वस्थ हो चुके हैं और इस प्रकार बिहार का रिकवरी रेट 65.61 प्रतिशत है. वर्तमान में बिहार में कोविड-19 के 9,624 एक्टिव मरीज हैं.


6 मेडिकल कॉलेज में 100  बेड्स


सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि एनएमसीएच गया, जेएलएनएमसीएच भागलपुर और एनएमसीएच, पटना पहले से ही डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल घोषित हैं. इसके अलावा और छह मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में भी एक अलग ब्लॉक चिन्हित करके उसमें ऑक्सीजन के साथ 100 बेड्स की व्यवस्था की गयी है और इन अस्पतालों से जिलों को जोड़ दिया गया है कि किस जिले का मरीज किस अस्पताल में अपना इलाज करा सकेंगे. इससे रेफरल की व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी और प्रबंधकीय समस्या भी नहीं होगी.


मेडिकल कॉलेजों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी तय


सरकार ने सभी मेडिकल कॉलेजों के मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी प्रमंडलीय आयुक्त को सौंपी है. सभी जगह के लिए नियंत्रण कक्ष बनाकर कर्मियों की नियुक्ति की गयी है ताकि लोग अपनी समस्या से नियंत्रण कक्ष को अवगत करा सकें. उन्होंने बताया कि अब जो माइल्ड और मोडरेट केसेज होंगे, जिनको ऑक्सीजन सपोर्ट की भी जरूरत पड़ेगी, उनका इलाज अनुमंडलीय अस्पताल में किया जाएगा ताकि मेडिकल कॉलेज पर दबाव कम हो सके. बेड्स की संख्या बढ़ाने को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.


20 लाख 79 हजार राशन कार्ड वितरित


अनुपम कुमार ने बताया कि गैर राशन कार्डधारी योग्य परिवारों के लिए 23 लाख 38 हजार 990 नये राशन कार्ड बने हैं. इनमें से अब तक 20 लाख 79 हजार राशन कार्ड वितरित किए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन पीरियड से लेकर अभी तक 05 लाख 55 हजार 738 से अधिक योजनाओं के अंतर्गत 11 करोड़ 32 लाख से अधिक मानव दिवसों का सृजन किया जा चुका है.


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