गरीबी के हाथों मजबूर 14 वर्षीय नंदिनी रिक्शा चलाने को है मजबूर
रोहतास की 14 वर्षीय नंदिनी गरीबी की वजह से रिक्शा चलाने को मजबूर है. उसका कहना है कि पापा लॉकडाउन के बाद बाहर चले गए इसलिए मुझे यह काम करना पड़ रहा है.
रोहतास: कोरोना महामारी के मद्देनजर लागू लॉकडाउन ने देश के अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़कर रख दी है. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर समाज के निचले तबके के लोगों पर पड़ा है. कितनों की रोजगार छिन गई है, ऐसे में परिवार के बच्चों को आगे आकर परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही. कलम पकड़ने की उम्र में बच्चे मेहनत मजदूरी कर किसी तरह घर के लिए दो वक्त की रोटी कमा रहे हैं.
ताजा मामला सासाराम के तकिया मोहल्ले का है जहां 14 वर्षीय नंदिनी ने अपने परिवार का पेट पालने के लिए रिक्शे का हैंडल थाम लिया है. सुबह होते ही वह सड़क पर निकल कर सवारी की तलाश में जुट जाती है. कलम पकड़ने की उम्र में नंदिनी रिक्शा का हैंडल थाम परिवार के लिए खाने का जुगाड़ करती है. दरअसल, लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो जाने के बाद वह दो वक्त की रोटी के लिए रिक्शा लेकर सड़क पर निकलती है. रिक्शा की पैडल तक उसकी ठीक से पांव भी नहीं पहुंचती है, लेकिन गरीबी की मार ने उसे रिक्शा खींचने पर मजबूर कर दिया है.
आज तक नहीं गई स्कूल
इस संबंध में नंदिनी का कहना है कि उसके पिता संतोष कुमार रिक्शा चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन में पुलिस की मार पड़ने की वजह से वे बाहर कमाने चले गए. अब वह उसी रिक्से को चला कर घर के लिए पैसे कमाती है. वह बताती है कि रिक्शा से ही परिवार का भोजन चलता था. लेकिन लॉकडाउन में आवागमन ठप होने और बाहर निकलने पर लगी पाबंदी के कारण रिक्शा चलना भी बंद हो गया तो पापा बाहर चले गए. इसलिए मैं रिक्शा लेकर निकलती हूं. दो-चार यात्री मिल गए तो 50-60 रुपये हो जाता है, जिससे घर का खर्चा निकल जाता है.
नंदिनी का कहना है कि वह आजतक स्कूल नहीं गई. किसी ने स्कूल ले जाने का प्रयास भी नहीं किया. पहले कूड़ा-कचरा हटाती और चुनती थी. घर में कोई पढ़ा-लिखा भी नहीं है."
घर का काम निपटाने के बाद चलाती है रिक्शा
इस संबंध में नंदिनी की मां ने बताया कि घर का कामकाज पूरा करने के बाद नंदिनी अपने परिवार वालों के लिए दो जून की रोटी जुटाने के लिए दिन में रिक्शा चलती है. लॉकडाउन होने की वजह से उसके पिता का रोजगार बंद हो गया. पिता भी रिक्शा चलते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान पुलिस की पिटाई के बाद उन्होंने रिक्शा चलाना बंद कर दिया.
मामले की कराई जाएगी जांच
जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि नंदिनी के रिक्शा चलाने की बात अबतक जानकारी में नहीं थी. आज इस बात की जानकारी मिली है. अगर उसे अबतक स्कूल से नहीं जोड़ा गया है, तो यह काफी गंभीर मामला है. हाल में भी स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों का सर्वे कराया गया है. उसमें इस बच्ची का नाम नहीं है. पूरे मामले की जांच कराई जाएगी और उसे स्कूल से जोड़ने का काम किया जाएगा. कम उम्र में जोखिम भरा काम करना किसी भी बच्चे के लिए खतरनाक है. नंदिनी के परिवार की मदद करने के लिए जिला प्रशासन से अनुरोध किया जाएगा.