पटना: भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 के नोट पर प्रतिबंध लगा दिया है. रिजर्व बैंक ने 23 मई से 2000 के नोट को बदलने का समय निर्धारित कर दिया है जो 30 नवंबर तक पूरा कर लेना है. नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद 2000 का नोट का प्रचलन में आया था लगभग 78 महीने बाद इसे बंद कर दिया गया है. अब इस पर बिहार में राजनीति एक बार फिर शुरू हो गई है.


लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने ट्वीट कर लिखा है ''आने वाली पीढ़ियां यह सोचकर आश्चर्य करेंगी कि पृथ्वी पर साधारण सा कागज का एक ऐसा अनूठा नोट भी आया था जिसे आने से भी भ्रष्टाचार मिटा था और जाने से भी'' 'जय हो अंध भक्तों'' 


2000 के नोट पर पाबंदी पर क्या बोले यूजर्स?


आरजेडी के ट्वीट पर यूजर्स भी 2000 के नोट पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधने लगे. एक यूजर्स ने 2000 के नोट पर प्रतिबंध को कर्नाटक चुनाव से जोड़कर बताया है और लिखा है ''कर्नाटक चुनाव ने मोदीजी को सिखा दिया है कि हमेशा ब्लैक मनी आपको चुनाव नहीं जीता सकती है जो उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतने के लिए नोटबंदी के नाम पर हथकंडा चल गया वह एपिसोड कर्नाटक में बीजेपी को धूल चटाने के साथ पूरी तरह समाप्त हो गया.''


एक यूजर्स ने लिखा है ''नतमस्तक मीडिया के लिए 2000 का नोट लाना मास्टर स्ट्रोक था और अब उसे बंद करना भी मास्टर स्ट्रोक होगा,अगर मोदीजी 2000 के सारे नोट के गद्दे बनवा देते या यूं ही जलवा देते तो भी वह मास्टर स्ट्रोक ही कहलाता.''


 2018 के बाद से नहीं हुई थी 2000 के नोट की छपाई 


भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 के नोट पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा है कि 89 प्रतिशत 2000 के नोट मार्च 2017 तक के छपे हुए हैं. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2000 के नोट को छापा गया. उसके बाद इस नोट की छपाई नहीं हुई है. इसलिए नोट के इस्तेमाल करने योग्य 4 से 5 साल की अवधि को पूरा कर लिया है. रिजर्व बैंक ने 30 सितंबर तक सभी नोट को वापस लेने के लिए क्षेत्रीय आरबीआई शाखा एवं सभी बैंकों को निर्देश दे दिया है, लेकिन 1016 में नोटबंदी के समय में भी जमकर राजनीति हुई थी और अब 2000 के नोट को बंद होने पर भी राजनीति का होना लाजिम है.


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