दुमकाः  नेपाल के बागमती में फंसे दुमका के 26 मजदूर शनिवार की देर रात अपने वतन भारत की धरती झारखंड के दुमका पहुंचे. इनमें पांच मजदूर कोरोना पॉजिटिव थे जिन्हें दुमका के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं अन्य 21 मजदूरों को हिजला में बने क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया. सात दिनों के बाद उनकी जांच की जाएगी उसके बाद घर भेजा जाएगा. मजदूरों के वापस अपने वतन लौटने पर झारखंड सरकार के साथ जिला प्रशासन को भी धन्यवाद दिया है.


नेपाल में फंसे इन 26 मजदूरों को लाने की पहल दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने झारखंड सरकार के सहयोग से की है. उपायुक्त ने मजदूरों को लाने के लिए नेपाल दूतावास से संपर्क कर उन्हें झारखंड लाने के लिए बात की थी. नेपाल सरकार के एनजीओ ने इन बीमार मजदूरों को इलाज के साथ झारखंड भेजने में मदद करने का आश्वासन दिया.


राज्य की यह पहली सरकार है जो सबसे ज्यादा संवेदनशील


उपायुक्त दुमका ने मजदूरों को लाने के लिए दुमका से एक बस और एक मेडिकल टीम के साथ मजिस्ट्रेट की देखरेख में सुरक्षा बल के साथ एक एंबुलेंस को शुक्रवार को नेपाल के लिए रवाना किया था. पोड़ैयाहाट विधायक  प्रदीप यादव ने राज्य सरकार की प्रशंसा करते कहा था कि राज्य की यह पहली सरकार है जो सबसे ज्यादा संवेदनशील है. हेमंत सरकार गरीबों के प्रति हमदर्द बनकर उनकी सहायता कर रही है. आज सरकार की पहल पर नेपाल में फसे मजदूरों को लाया गया है.


दुमका जिले के रामगढ़ प्रखंड के लगभग 26 मजदूर नेपाल में फंसे थे. मजदूरों ने  सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर सरकार से भारत आने की गुहार लगाई थी. दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर में नेपाल के सिंधुपाल चौक जिले के बागमती अंचल के गोरी गांव में सभी मजदूर फंसे हैं जिसमें कई मजदूरों की तबीयत खराब थी और कई को स्लाइन भी कमरे में ही चढ़ाई जा रही थी. सभी मजदूर सरकार से किसी तरह भारत लाने की गुहार लगा रहे थे. ये दो-तीन महीने पहले नेपाल के तामाकोशी से काठमांडू तक हाइडल पावर प्रोजेक्ट में टावर लगाने का काम करने गए थे.


यह भी पढ़ें- 


सेनारी नरसंहार में हाईकोर्ट के फैसले से बिहार सरकार असंतुष्ट, सुप्रीम कोर्ट का खटखटाएगी दरवाजा