बक्सरः एक तरफ कोरोना में लोग मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं तो दूसरी ओर ऐसी परिस्थिति में कुछ लोग ऐसे हैं जो इंसानियत को शर्मसार करने में लगे हैं. मामला बक्सर के डिहरी गांव का है जहां बीते सात महीने से एक ईंट-भट्ठा के संचालक ने 40 मजदूरों को बंधक बनाकर रखा था. उन्हें पैसे भी नहीं दे रहा.
सोमवार की देर रात बक्सर स्टेशन पर पहुंचने के बाद लगभग 40 मजदूरों की यह दर्द भरी दास्तां सुनकर यूनिसेफ के सदस्यों ने मीडिया को इसकी सूचना दी. ये सभी मजदूर जिले के राजपुर थाना क्षेत्र के डिहरी गांव में मां जानकी ईंट-भट्ठा के मालिक झूलन और टुनटुन ने मजदूरों से काम करवा रहा था. सभी मजदूर नालंदा जिले के रहने वाले हैं. बीते सात महीने से इन्हें दिहाड़ी मजदूरी नहीं दी जा रही थी. पैसे मांगने पर उनके साथ मारपीट भी की जाती थी.
बक्सर आने पर पांच दिनों के बाद नसीब हुआ खाना
जब सभी मजदूरों ने भुगतान के लिए आवाज उठाई तो ईंट-भट्ठा के मालिक ने कहा कि अपने सरदार को यहां बुलाओ तब जाकर उन्हें छोड़ा जाएगा. मजदूरों ने जब सरदार को बुलाया तो मजदूरों के साथ गाली-गलौज करते हुए पिटाई करने के बाद गोली मारने की धमकी देकर ट्रैक्टर से चौसा छोड़ दिया गया. यहां आने के बाद खाना बनाने वाले बर्तन को बेचकर किसी तरह सभी मजदूर बक्सर रेलवे स्टेशन पहुंचे. मजदूरों ने बताया कि पांच दिनों के बाद बक्सर आने पर खाना नसीब हुआ है.
बक्सर से ये सब किसी ट्रेन से अपने घर जाने की जुगाड़ में लगे हैं. चिमनी पर काम करने वाले मजदूर भरत चौहान ने बताया कि मालिक के द्वारा अक्सर उनके साथ मारपीट की जाती थी. चिमनी पर काम करने वाले एक मजदूर की बेटी गर्भवती भी है. ऐसे में इलाज के लिए उस परिवार के पास पैसे नहीं हैं. खबर लिखे जाने तक सरदार ईंट-भट्टा संचालक के कब्जे में था. इस मामले की जानकारी एसडीपीओ को दे दी गई है.
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