पटनाः 67वीं बीपीएससी पेपर लीक (BPSC Paper Leak) मामले में आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की कार्रवाई लगातार जारी है. इस मामले में अब पुलिस ने मंगलवार को डीएसपी रंजीत कुमार रजक (DSP Ranjit Kumar Rajak) को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा है. 23 जून को ईओयू ने राम शरण सिंह इवनिंग कॉलेज के प्राचार्य शक्ति सिंह की गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ में डीएसपी रंजीत कुमार रजक का नाम सामने आया था. अनुसंधान में डीएसपी की भूमिका का पता चला.
शक्ति सिंह पेपर लीक कांड का मुख्य अभियुक्त है. 8 मई को 2022 को हुए पेपर लीक मामले में इसके खिलाफ ईओयू के पास सबूत हैं. रंजीत कुमार का अभियुक्त शक्ति सिंह के साथ संबंध और लगातार मिलते रहने की बात भी सामने आई है. ऐसे में हर भूमिका की जांच की जाएगी. ईओयू ने बताया कि रंजीत रजक का आपराधिक इतिहास रहा है.
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2014 में दाखिल की गई थी चार्जशीट
वर्ष 2012 में बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा धांधली में रंजीत कुमार रजक समेत 21 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई (EOU) थाने में ही 20 अक्टूबर, 2012 को प्राथमिकी हुई थी और वर्ष 2014 में चार्जशीट भी दाखिल की गई थी. इस कांड में रंजीत कुमार रजक पर बीएसएससी के द्वारा आयोजित विभिन्न परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिका (ओएमआर) को निकाल कर खाली छोड़े गए उत्तर को रंग कर परीक्षा परिणाम को प्रभावित करने का आरोप है. यह मामला अभी भी कोर्ट में है. सवाल है कि इसके बाद भी रंजीत रजक डीएसपी पद तक कैसे पहुंच गया.
बता दें कि अब डीएसपी रंजीत रजक की संपत्ति की भी जांच की जाएगी. राजधानी पटना के महुआबाग स्थित उसके फ्लैट की तलाशी ली गई है. वहीं दूसरी बड़ी बात ये है कि पेपर लीक होने के दो से तीन बाद उसने अपना फोन तक तोड़ दिया था ताकि पकड़ा न जा सके. ईओयू से कहा कि पत्नी से लड़ाई के बाद उसने फोन तोड़ा था. ईओयू का कहना है कि कांड के अनुसंधान में डीएसपी के स्तर से कोई सार्थक सहयोग नहीं मिल रहा है.
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