कैमूर: जिले में 9 साल की आंगनवाड़ी सेविका के मां बनने का मामला प्रकाश में आया है. चौंकिए मत 9 साल की सेविका वाकई में मां नहीं बनी है, मामला आंगनबाड़ी सेविका की बहाली में फर्जीवाड़ा का है. मामला जिले के दुर्गावती प्रखंड के दरौली गांव का है.


मिली जानकारी अनुसार 65 प्रतिशत अंक वाली एक महिला को छांट कर 45 प्रतिशत अंक वाली एक सेविका की नियमों को ताक पर रखकर बहाली कर दी गई. लेकिन जब 65 प्रतिशत अंक वाली सेविका ने उसके जन्मतिथि का झोल देखा तो मामला सुर्खियों में आ गया. दरअसल, 45 प्रतिशत अंक वाली सेविका ने अपनी जन्मतिथि 1995 दी थी, जबकि अपनी बेटी की जन्म तिथि वह 2004 दे रही थी. मामला प्रकाश में आने के बाद इसकी शिकायत पीड़िता ने कैमूर डीएम बीडियो और सीडीपीओ को की. फिर भी पीड़िता न्याय के लिए 7 महीने से भटक रही है.


दरअसल, दुर्गावती प्रखंड के सावठ पंचायत के दरौली गांव में 7 माह पहले सेविका की पद पर पार्वती कुमारी को 45% अंक होने के बाद भी बहाल कर दिया गया, जिसको लेकर संगीता कुमारी ने आरोप लगाया है कि मेरा 65% अंक होने के बाद भी मेरी बहाली नहीं की गई और जिस पार्वती कुमारी की बहाली हुई है, उसके जन्मतिथि में भी फर्जीवाड़ा किया गया है.


उसका जन्म तिथि 1995 का दिखाया जा रहा है जबकि उसकी बेटी की जन्म तिथि 2004 दिखाया जा रहा है. तो मात्र 9 साल में कोई कैसे बच्चे को जन्म दे सकता है और कम अंक वाले को कैसे पद पर बहाल कर दिया गया. इसके लिए मैं 7 महीने से डीएम, बीडियो और सीडीपीओ का आवेदन देकर न्याय की गुहार लगा रही हूं. लेकिन मेरा कोई सुनने वाला नहीं है.


वहीं पर्यवेक्षिका बताती हैं कि बहाल हुई सेविका के उम्र को लेकर लोगों ने सवाल उठाया है कि मां और बेटी की उम्र में 9 साल का अन्तर है. मामला जांच के अधीन है. वहीं सीडीपीओ आशा दुबे बताती हैं कि मामला संज्ञान में आया है, जांच किया जा रहा है. जो भी सही होगा उसकी बहाली की जाएगी और गलत पर कार्रवाई.