पटनाः बिहार में कोरोना की दूसरी लहर बेकाबू हो रही है. कई सरकारी अस्पतालों में लगभग बेड फुल हो चुके हैं. ऑक्सीजन सिलिंडरों की जिस हिसाब से मांग है, उतनी सप्लाई नहीं हो पा रही. बाजार से रेमडेसिविर इंजेक्शन भी गायब है. ऑक्सीजन सिलिंडरों की सप्लाई और डिमांड को सुनकर सिर पीट लेंगे. इधर, स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों की मानें तो इस तरह की कोई समस्या नहीं है.


दरअसल, ऑक्सीजन सिलेंडरों की स्थिति को जानने के लिए एबीपी बिहार की टीम पटना के बाईपास स्थित एक निजी कंपनी पहुंची. यह कंपनी हर दिन 800 सिलिंडरों को तैयार करती है, जबकि मांग इससे कहीं अधिक है. हालांकि, कंपनी के सीएमडी ने कमियों को दूर करने के उपाय भी बताए, जिसकी मदद से सरकार इस कमी को काफी हद तक दूर भी कर सकती है. 


निजी कंपनी के सीएमडी एसएन प्रसाद ने कहा, " हमलोग बिहार के सबसे पहले और बड़े इंडस्ट्री में से एक हैं. हमारी फैक्ट्री यहां 1987 से चल रही है. पिछले पैंडेमिक में हमलोग ने बहुत अच्छे से सब चीज संभाला. इसको भी संभाल लेंगे. लेकिन उसके लिए हमारे प्लांट की जो क्षमता है उसे बढ़ाना होगा. अभी हमारे प्लांट की क्षमता 800 सिलिंडर की है. जो हम लगातार दे रहे हैं. हमें बाहर से लिक्विड ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जो बोकारो से आता है, यदि एक टैंक प्रतिदिन हमें लिक्विड ऑक्सीजन देंगे तो यहां हम इसकी कमी नहीं होने देंगे. जितने भी हॉस्पिटल हैं, सभी हमारे कंट्रोल में हैं और हम उनको सप्लाई दे रहे हैं."


निजी कंपनी के एमडी सौरभ प्रसाद ने कहा, "अगर हमलोगों को लिक्विड ऑक्सीजन मिलता रहा तो यहां ऑक्सीजन का कोई कमी नहीं होगी. यहां दो बड़े सपल्यार हैं, इनॉक्स प्रोडक्ट लिमिटेड और लिंडे. अगर ये प्रतिदिन टैंक देते हैं, तो बिहार में कोई कमी नहीं होगी. अगर वहां से सप्लाई प्रतिदिन नहीं हुई तो दिक्कत होगी."


मैनेजर विनोद कुमार ने बताया, "ऑक्सीजन की अभी दिक्कत है और यहां अभी बहुत लिक्विड टैंक है. यदि एक टैंक रोजाना यहां नहीं आता है, तो यहां दिक्कत होगा. यहां लगभग सभी हॉस्पिटल को ऑक्सीजन की दिक्कत हो रही है. केवल इस गैस प्लांट से इतनी आपूर्ति संभव नहीं है. इनॉक्स को लिक्विड ऑक्सीजन का एक टैंक यहां देना होगा तब कोई दिक्कत नहीं होगी."


इंजेक्शन सप्लायर राजीव केसरी ने कहा, " रेमडेसिविर इंजेक्शन हमारे यहां प्रतिदिन 50 से 60 पीस ही आ रही है पर यहां जिस तरह से मांग है उस तरह से आपूर्ति नहीं हो रही है. कल 60 इंजेक्शन आय, जिसमें रुबन हॉस्पिटल, फोर्ड हॉस्पिटल, मिदाज, हार्ट हॉस्पिटल, जगदीश हॉस्पिटल को 6-6 और 12-12 करके दिया गया."


नेशनल मशीन टूल्स पार्टनर के प्रमोद कुमार ने कहा,  " यहां ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं है. कोरोना में इसकी खपत बढ़ी है. डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम. हॉस्पिटल में कोविड मरीज भर्ती हो रहे हैं और हम उन्हें ऑक्सीजन सप्लाई नहीं कर पा रहे. आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है. सरकार को इसपर गंभीरता से सोचना चाहिए." 


डिस्ट्रीब्यूटर पंकज ने बताया, "मेरा अनुरोध है कि जो भी ऑक्सीजन फैक्ट्री पटना में हैं, उसकी एक मीटिंग कर उनकी समस्या को सुना जाए. जिस हॉस्पिटल की मांग 10 सिलिंडर की थी, अब वो 40 सिलिंडर की मांग कर रहा है. यहां से पूर्ति नहीं हो रही क्योंकि यहां प्रतिदिन 800 सिलिंडर ही तैयार होती है."


इधर, एनएमसीएच के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि हमारे यहां ऑक्सीजन जेनेरेशन सिस्टम शुरू हो गया है. ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. ऊषा एयर प्रोडक्ट को हमलोगों ने आउटसोर्सिंग पर एजेंसी दिया है. यहां 160 बेड हैं और सभी पर पाइपलाइन से ऑक्सीजन सप्लाई होती है. 30 वेंटिलेटर हैं. आईसीयू में 14 बेड हैं. 


रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर कहा कि यह एक महंगी दवा है, जिसका हमलोग कोरोना के मरीजों पर इस्तेमाल कर सकते हैं. एक स्टजी के अनुसार, कोरोना के पेशेंट पर इसका कुछ खास असर नहीं है इसलिए कोरोना के मरीजों को शुरू के दिनों में आप दे सकते हैं लेकिन इससे कुछ खास असर नहीं पड़ता है. सरकारी क्षेत्र में भी इसकी सप्लाई नहीं है और प्राइवेट में भी उपलब्ध नहीं है.


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