Bihar Politics: लोकसभा चुनाव में दो महीने से भी कम का समय बाकी रह गया है. सियासी गुणा-गणित जारी है. वोटर्स को लुभाने के सियासी दल कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हर तरफ राजनीतिक हलचल है और बिहार भी इससे अछूता नहीं है. इस बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला किया. कर्पूरी ठाकुर ने देश में सबसे पहले ओबीसी आरक्षण लागू किया था. भारत रत्न के एलान के बाद बिहार की सियासत पर इसका असर देखने को मिल सकता है. एबीपी न्यूज़ से के लिए सी वोटर ने त्वरित सर्वे किया जिसमें सियासी तस्वीर साफ होती नजर आ रही है.


सीवोटर ने कर्पूरी ठाकुर को भारत देने के एलान के बाद त्वरित सर्वे में सवाल पूछा कि बिहार में अति पिछड़े वोटर्स की पसंद कौन है? इस सवाल के जवाब में चौंकाने वाले आंकड़े आए. इस सर्वे के मुताबिक, बीजेपी को 40 फीसदी, जेडीयू को 16 फीसदी, आरजेडी को 27 फीसदी और कांग्रेस को छह फीसदी वोट मिल सकते हैं. 11 फीसदी ने पता नहीं में जवाब दिया.


बिहार में क्या है वोटर्स का समीकरण?


बिहार में अति पिछड़ों की आबादी सबसे ज्यादा है. बिहार की कुल आबादी में 36 फीसदी हिस्सेदारी अति पिछड़ों की है. इसके बाद ओबीसी आते हैं जिनकी आबादी 27 फीसदी है. एससी 20 फीसदी, सर्वण 15 फीसदी और एसटी दो फीसदी हैं. आंकड़ों से साफ है कि बिहार में अति पिछड़े और पिछड़ों की आबादी सियासी फैसले में अहम भूमिका निभाती है और कोई भी दल इन्हें नजरअंदाज तो बिल्कुल भी नहीं कर सकता. कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़े और अति पिछड़े समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए ही काम किया. उन्हें 'जननायक' के तौर पर जाना जाता है.


 (नोट: बिहार में किये गये सर्वे में 1280 लोगों की राय शामिल है)


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