मोदी सरकार 2.0 के आज दो साल पूरे, बिहार को रेल मेगा ब्रिज से लेकर ऑक्सीजन प्लांट तक मिला
हाल में ही सी-वोटर के किए गए सर्वे में भी नरेंद्र मोदी के काम से देश के लोग संतुष्ट.कदम से कदम मिलाकर विकास कार्य को बखूबी से आगे बढ़ाने का हो रहा है काम.
किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में शीर्ष पर बने रहना कतई आसान काम नहीं होता है. 30 मई 2021 को अपने दूसरे कार्यकाल के दूसरे वर्ष पूर्ण होने पर भी यह गौरव देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्राप्त हुआ है. हाल में ही सी-वोटर के किए गए सर्वे में भी नरेंद्र मोदी के काम से देश के लोग संतुष्ट हैं. देश की जनता ने उन्हें लोकप्रिय नेता के रूप में माना है. कोरोना को संभालने का काम भी नरेंद्र मोदी ने बखूबी से निभाया है. वह सभी चुनौतियों पर खरे उतरे हैं. 2019 के चुनाव में वह जनता के विश्वास पर दोबारा चुने गए थे, उसी विश्वास के साथ जनता ने उन्हें सिर आंखों पर बैठाए रखा है. पूरे विश्व ने मोदी सरकार की उपलब्धियों को देखा है और समय-समय पर उसका गुणगान भी किया है जिससे पूरे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में भारत का सम्मान भी बढ़ा है. भारत की विकास यात्रा को नया आयाम मिला है. यह पूरे भारत के साथ बिहार की जनता को भी गौरवान्वित करता है. बिहार में भी बीजेपी और जेडीयू की साझा सरकार है जो केंद्र के साथ कदम से कदम मिलाकर विकास कार्य को बखूबी से आगे बढ़ाने का काम कर रहा है.
हालांकि दूसरे कार्यकाल का दूसरा साल नरेंद्र मोदी के लिए काफी कांटों भरा ताज भी रहा. पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा सी गई. बिहार में भी कोरोना वायरस ने पूरे प्रदेश को अपनी जद में ले लिया. तमाम आर्थिक गतिविधियां थम सी गईं जिससे पूरे प्रदेश में हाहाकार मच गया. केंद्र सरकार द्वारा जिस तरह दूसरे कार्यकाल के पहले साल में ऐतिहासिक फैसले लिए गए थे. इस साल उसकी रफ्तार थोड़ी सुस्त सी पड़ गई. इसकी सबसे मुख्य वजह वैश्विक संकट कोरोना महामारी थी जिसने बिहार ही नहीं बल्कि भारत के सभी प्रदेशों में कोहराम सा मचा दिया. बिहार जैसे पिछड़े प्रदेश में कोरोना से लड़ने के मुकम्मल इंतजाम किए गए जिससे समय रहते और लोगों की जान बचाई जा सकी.
आत्मनिर्भर बिहार बनाने की ओर प्रयास
नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल के आह्वान पर पूरे देश में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए जाने लगे. बिहार भी इससे अछूता नहीं रहा. बिहार में छोटे लघु उद्योगों की बदौलत पीपीई किट से लेकर मास्क, सर्जिकल सामान इत्यादि का युद्धस्तर पर उत्पादन होने लगा. बिहार सरकार की संस्था जीविका ने भी अपनी दीदियों के माध्यम से लाखों की संख्या में मास्क बनाने का काम किया जो पूरे देश में एक मिसाल के तौर पर देखा गया.
शिक्षा नीति में बदलाव
मोदी सरकार की सबसे जरूरी व महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक शिक्षा नीति में बदलाव था. वर्षों से चली आ रही पुरानी व्यवस्था पर चल रही शिक्षा नीति में बदलाव किया गया. पीएम मोदी की अध्यक्षता में जुलाई 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस देश में नई शिक्षा नीति को मंजूरी प्रदान की गई. नई शिक्षा नीति में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 को बदला गया. 5+3+3+4 की नई व्यवस्था लागू की गई. 5वीं कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा दी जाएगी और देश में शिक्षा पर जीडीपी का 6% भाग खर्च किया जाएगा. बिहार में इस शिक्षा नीति से व्यापक पैमाने पर बदलाव आने की गुंजाइश है. बिहार में भी क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान की जाएगी जो एक मील का पत्थर साबित होगा.
वन नेशन वन राशन कार्ड योजना
एक देश एक राशन कार्ड योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के पात्र लाभार्थी पूरे देश में कहीं भी किसी राज्य से पीडीएस राशन की दुकान से राशन प्राप्त कर पाएंगे. बिहार राशन कार्ड सूची 2021 में उनलोगों को सरकार द्वारा हर गांव में सरकारी राशन की दुकानों पर गेहूं, चावल, चीनी, केरोसिन आदि रियायत दरों पर इस कार्ड के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा. इस स्कीम का फायदा उठाकर लोगों को खाद्य सुरक्षा की भी पूरी गारंटी प्राप्त हो पाएगी.
बिहार में स्वेदशी वैक्सीन का आवंटन
कोरोना वायरस से बचने के लिए देश में युद्धस्तर पर प्रयास किए गए. देश के वैज्ञानिकों ने अपने अथक प्रयास की बदौलत वैक्सीन का निर्माण पूरा किया. यह हमारे वैज्ञानिकों के साथ-साथ बिहार और मोदी सरकार दोनों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि यह कार्य महज एक साल के अंदर कर लिया गया. इसके तहत बिहार में को-वैक्सीन और कोविशील्ड के टीके मुहैया कराए गए. बिहार में कोरोना वैक्सीन के लिए 18 से 44 वर्ष की उम्र के भी टीकाकरण की शुरुआत नौ मई 2021 से कर दी गई. पहली खेप में बिहार में लगभग 3.5 लाख डोज मिली जिससे टीकाकरण संभव हो पा रहा है. आगे और भी टीका धीरे-धीरे मुहैया कराया जा रहा है.
पीएम केयर फंड से मिले 15 ऑक्सीजन प्लांट
बिहार में कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामले और अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत को देखते हुए नरेंद्र मोदी ने बिहार में 15 प्लांट लगाने को मंजूरी दे दी इसकी पूरी राशि पीएम केयर्स फंड से दी जाएगी. पीआईबी के अनुसार बिहार के 15 जिलों के सदर अस्पतालों में यह प्लांट लगाए जाएंगे जिससे लोगों को किसी भी बाधा के ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाएगी. इससे बिहार को बड़ी राहत मिलने की संभावना है.
पीएम आवास योजना में बिहार को सर्वाधिक आवास मिले
पीएम आवास योजना में बिहार को केंद्र सरकार की तरफ से वित्तीय वर्ष 2021- 22 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सबसे अधिक 11 लाख 49 हजार 947 आवास का लक्ष्य मिला है यह वित्तीय वर्ष 2020-21 में 7 लाख 82 हजार 102 आवास का लक्ष्य था। पीएम आवास योजना के तहत इतने भारी पैमाने पर दिए गए आवास से गरीब आवासहीन लोगों को पक्का मकान बनाने के लिए अनुदान के रूप में 1 लाख 20 हजार तथा उग्रवाद प्रभावित जिलों में 1 लाख 30 हजार रुपये दिए जाते है जिसमें 60% राशि केंद्र सरकार तथा 40% राशि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है.
3000 करोड़ की प्रोजेक्ट की मिली सौगात
पीएम मोदी द्वारा बिहार को कोसी रेल मेगा ब्रिज की सौगात दी गई. इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया गया इसके साथ कोसी और मिथिलांचल के लोगों का तकरीबन 86 साल पुराना सपना साकार हो पाएगा कोसी नदी पर इस रेल पुल के बनने से कोसी और मिथिलांचल की दूरी कम हो जाएगी इसके अलावा बिहार में रेलवे से संबंधित 12 अन्य परियोजनाओं का भी प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश कोरोना काल का सबसे भयावह दंश झेल रहा है. इस तरह के संकट का काल किसी प्रधानमंत्री ने नहीं देखा जिस तरह से मोदी ने इस संकटकाल से पूरे देश को उबारने की कोशिश की है वह निश्चित ही बिहार के साथ पूरे देश के लिए नया आयाम गढ़ेगा. जितनी सहजता से मोदी ने पूरे देश को संभाला सभी जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाने का काम किया वह काबिले तारीफ है. इन्हीं कुशल प्रशासक के रूप में उनकी छवि पूरे विश्व में विख्यात है. मोदी को इसी नेतृत्वकर्ता के रूप में जाना जाता है. अब देखना यह है कि आगे आने वाले समय में भी मोदी की छवि इसी प्रकार बरकरार रखती है या नहीं. बिहार ने हमेशा से ही मोदी को चाहा है चाहे वो लोकसभा का चुनाव हो या पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में इसकी बानगी देखने को मिली थी. सबने बढ़-चढ़कर भाजपा को अपना समर्थन देने का काम किया था. मोदी को इसी विश्वास पर आगे खरे उतरने की जरूरत है तभी सही मायनों में उनका सफल राजनीतिक कार्यकाल पूरा हो सकेगा.
(लेखक- शोभित सुमन, मीडिया शोधार्थी)