सुपौल: कोरोना की दूसरी लहर में सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. उन जिलों में तो स्थिति और भी बदतर है, जहां पहले से भी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. बिहार का सुपौल जिला उन जिलों में से एक है. सीमावर्ती जिले में सरकार की तरफ से अभी तक ब्लड बैंक की स्थापना नहीं की गई है. इस वजह से ब्लड के लिए सुपौल के लोगों को अपने पड़ोसी जिले पर निर्भर रहना पड़ता है.


रक्तदान कर 200 लोगों की बचाई जान 


कोरोना काल में मुसीबत और बढ़ गई है, ऐसे में जिले के कई युवा रक्तदान कर लोगों की जान बचाने में जुट गए हैं. कोसी रक्तवीर सेवा संगठन के नाम से संचालित युवाओं की टोली ने अब तक रक्तदान कर 200 लोगों की जान बचाई है. संगठन के संचालक लोलप ठाकुर हैं, जो सारी व्यवस्था देखते हैं. 


उन्होंने बताया कि अभी बीते दिनों सुपौल के अशफी कामत को खून की जरूरत थी. हादसे का शिकार होने के बाद ऑपरेशन के लिए उन्हें खून चढ़ाने की आवश्यकता थी. ऐसे में पीड़ित के बेटे इंद्रजीत ने कोशी रक्तविर सेवा संगठन से मदद की गुहार लगाई. जैसे ही संगठन को इसकी जानकारी मिली. ग्रुप के युवा करण गुप्ता, अमित मिश्रा और दीपक कुमार गुप्ता रक्तदान करने के लिए पहुंच गए और मरीज की जान बचाई.


संगठन के संचालक लोलप ठाकुर ने टीम के सभी युवाओं से अपील की है कि वो इस विषम परिस्थिति में पूरी सावधानी बरतते हुए रक्तदान करें, जिससे रक्त की कमी ना हो और वो भी संक्रमण की चपेट में भी ना आए. लोगों की मदद के लिए संगठन की ओर से मोबाइल नंबर जारी किया गया है, जिसपर कॉल कर ग्रामीण मदद की गुहार लगाते हैं.


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