Tirupati Laddus Row: तिरुपति बालाजी में नैवेद्यम लड्डू पर उठे सवाल के बाद पटना के महावीर मंदिर ने अपने लड्डू की गुणवत्ता रिपोर्ट जारी की है. मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने शुक्रवार को कहा कि हम लोग कर्नाटक की नंदिनी घी का इस्तेमाल करते हैं जो पूरी तरह शुद्ध है और इसका लैब की कॉपी भी हम लोग सार्वजनिक कर रहे हैं. तिरुपति बालाजी में उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि पहले वे लोग भी नंदिनी घी का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन रेट बढ़ने के बाद दो-तीन वर्ष पूर्व वहां से घी लेना छोड़ दिए जिससे नैवेद्यम लड्डू की गुणवत्ता में गिरावट आई है. वैसे जांच का विषय है मैं इसके बारे में कुछ नहीं कहूंगा.
आगे उन्होंने कहा कि हमारे कारीगर लगभग 30-32 साल पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में काम करते थे, लेकिन वह लगातार अब महावीर मंदिर में लड्डू बना रहे हैं. हम लोग हर तीन महीने पर जांच करते हैं सिर्फ घी ही नहीं सभी सामग्री की जांच होती है.
घी की हर तीन महीने पर होती है जांच- आचार्य किशोर कुणाल
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि नैवेद्यम की गुणवत्ता की जांच हर तीन महीने बाद कराई जाती है. इतना ही नहीं कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से नंदिनी घी की रिपोर्ट आने के बाद ही लिया जाता है. बाजार में शुद्ध भी के नाम पर कई ब्रांड उपलब्ध है, लेकिन गाय के दूध से तैयार होने वाले कर्नाटक की नंदिनी घी का हमलोग इस्तेमाल करते हैं.
तिरुपति मंदिर का प्रसाद विवाद क्या है?
बता दें कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डूओं में मिलावट पर बड़ा खुलासा हुआ है. प्रसाद में फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी मिलने की पुष्टि हुई है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के तहत सेंटर ऑफ एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड लैब की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.
एनडीडीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुपति मंदिर में लड्डुओं का प्रसाद तैयार किया जाता है, उसमें बीफ की चर्बी, दूसरे जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिला है. ये सब कुछ उस घी में मिला है, जिससे लड्डू तैयार किया जाता है. हैरान करने वाली बात यह है कि प्रसाद के तौर इन लड्डुओं को ना सिर्फ श्रद्धालुओं को बांटा गया, बल्कि भगवान को भी प्रसाद के तौर पर यही लड्डू चढ़ाया जाता रहा.
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