बाबरी मस्जिद विवाद को खत्म कराने में निभाई अहम भूमिका, किशोर कुणाल के कार्य समाज के लिए अमूल्य विरासत
Acharya Kishore Kunal: किशोर कुणाल के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सामाजिक और धार्मिक कार्यों से जुड़ा रहा. वे अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक थे.
Acharya Kishore Kunal Death: रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) का निधन हो गया. उन्होंने पटना के महावीर कैंसर अस्पताल में अंतिम सांस ली. वह 1972 बैच के IPS अधिकारी थे और बिहार स्टेट बोर्ड ऑफ रिलीजियस ट्रस्ट (BSBRT) के प्रमुख रहे. रविवार की सुबह दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें तुरंत महावीर वात्सल्य अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके निधन के बाद उनके काम और योगदान को लोग याद कर रहे हैं. अब उनकी यादें ही शेष बची है, जिसे संजोने की कोशिश की जा रही है.
बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थ की भूमिका निभाई
पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल तमाम सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे. वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष और पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव के पद पर कार्यरत थे. उनकी सेवा और योगदान से समाज में महत्वपूर्ण बदलाव आए. किशोर कुणाल के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सामाजिक और धार्मिक कार्यों से जुड़ा रहा. वे अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक थे और उन्होंने बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थ की भूमिका भी निभाई थी.
किशोर कुणाल राम मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक थे. जब वी.पी. सिंह की सरकार बनी तो उन्होंने अयोध्या विवाद से निपटने के लिए 1990 में गृह राज्य मंत्री के नेतृत्व में 'अयोध्या सेल' की स्थापना की. इसके कामकाज में सहायता के लिए कुणाल को 'विशेष कार्य अधिकारी' नियुक्त किया गया. इसका मुख्य काम विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता कराना था. यह सेल चंद्रशेखर की सरकार में नवंबर 1990-मार्च 1991 में भी जारी रहा और आखिरकार एक लंबी लड़ाई के बाद राम मंदिर पर अंतिम फैसला कोर्ट ने 5 नवंबर 2019 को सुनाया, जो हिंदू पक्षकारों के हक में आया.
समाज सेवा और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया
बता दें कि आचार्य किशोर कुणाल ने पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से समाज सेवा और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया. उन्होंने महावीर कैंसर संस्थान और महावीर वात्सल्य संस्थान जैसी संस्थाओं की स्थापना करके स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया. उनका कार्य धार्मिक सहिष्णुता, समाज सेवा और आध्यात्मिकता को समर्पित था. उन्होंने न केवल धार्मिक संस्थाओं को भौतिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि सामाजिक उत्थान के लिए भी प्रयास किए. उनके जाने के बाद उनके कार्य भारतीय समाज के लिए एक अमूल्य विरासत हैं और प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे.
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