गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज जिले में चमकी बुखार का कहर शुरू हो गया है. सोमवार को अलग-अलग जगहों से तीन मरीजों को सदर अस्पताल में लाया गया, जिसमें एक मरीज को मुजफ्फरपुर रेफर किया गया, जबकि दो मरीज निजी अस्पतालों में दिखाने के लिए चले गए. सदर अस्पताल से जिस मरीज को रेफर किया गया वह सिवान के मुमताज आलम की डेढ़ साल की पुत्री खुशबू निशा बताई जा रही है.
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ अग्रवाल ने बच्ची की जांच करने के बाद बेहतर इलाज के लिए रेफर किया. अस्पताल प्रबंधक सिद्धार्थ कुमार ने कहा कि पीकू वार्ड में एक बच्ची भर्ती थी जिसे रेफर कर दिया गया. इसके पहले रविवार को बैकुंठपुर के दिघवा के बच्चे को रेफर किया गया था. वहीं, निजी क्लिनिक से सदर अस्पताल में पहुंचे दो अन्य बच्चों का नाम व पता दर्ज नहीं किया गया था.
डॉक्टर व कर्मियों की छुट्टियां रद्द
सिविल सर्जन डॉ. योगेंद्र महतो ने कहा कि सभी अस्पतालों के चिकित्सा पदाधिकारियों को अलर्ट करते हुए डॉक्टर व कर्मियों की छुट्टियां रद्द की जा रहीं हैं. सिविल सर्जन ने कहा कि गोपालगंज में एईएस (AES) के लक्षण मिलने के बाद एहतियातन अस्पताल को अलर्ट पर रखा गया है.
दो बच्चों की हो चुकी है मौत
गोपालगंज में जून 2019 में चमकी बुखार से दो बच्चों की मौत हो चुकी है. इस बार सदर अस्पताल में दो मरीजों के पहुंचने की पुष्टि हुई है, जबकि निजी अस्पतालों से दो मरीज रेफर किए गए हैं.
चमकी बुखार के निम्न लक्षण
- मिर्गी जैसे झटके आना (जिसकी वजह से ही इसका नाम चमकी बुखार पड़ा)
- बेहोशी आना
- सिर में लगातार हल्का या तेज दर्द
- अचानक बुखार आना
- पूरे शरीर में दर्द होना
- जी मिचलाना और उल्टी होना
- बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस होना और नींद आना
- दिमाग का ठीक से काम न करना और उल्टी-सीधी बातें करना
- पीठ में तेज दर्द और कमजोरी
- चलने में परेशानी होना या लकवा जैसे लक्षणों का प्रकट होना
बीमारी के पीछे क्या-क्या कारण
- बच्चों के शरीर में पानी की कमी
- घर में साफ-सफाई की कमी
- बच्चों को धूप में निकलना
- भूखे पेट रहना और रात में सोना
- बासी भोजन व खुले में बिक रहे सामान खाना
- बार-बार स्नान करना और बारिश में नहाना
- साफ-सुथरा व सूखा कपड़ा नहीं पहनाना
- खाली पेट आम व लीची खाना
- बुखार होने पर डॉक्टर से सलाह के बिना खुद से दवा देना
ऐसे होगा इलाज
जैसे ही चमकी बुखार के लक्षण दिखाई पड़े वैसे ही बच्चे को मीठी चीजें खाने के लिए दें. अगर संभव हो तो ग्लूकोज पाउडर या चीनी को पानी में घोलकर दें, जिससे कि रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ सके और मस्तिष्क को प्रभावित होने से बचाया जा सके. इसके बाद तुरंत अस्पताल ले जाएं.
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