लंबे समय के बाद मां मुंडेश्वरी मंदिर का खोला गया पट, नियमों का पालन कर दर्शन कर पाएंगे भक्त
कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए मां मुंडेश्वरी का मंदिर खोला गया है. मंदिर को दिन भर में तीन से चार बार सैनिटाइज किया जा रहा है. मंदिर परिसर के अंदर सभी का मास्क पहन के आना अनिवार्य है.
कैमूर: जिले के भगवानपुर प्रखंड के पवरा पहाड़ी स्थित मां मुंडेश्वरी का पट मंगलवार को कोरोना काल में लंबे समय के बाद खुलते ही श्रद्धालुओं का भीड़ उमड़ पड़ी. कोरोना काल की वजह से होली के बाद से ही मंदिर बंद था. बीच में एक महीने के लिए मंदिर खोला गया था, लेकिन फिर बिहार सरकार की ओर से लॉकडाउन लगाने की वजह से मंदिर को बंद कर दिया गया था, जिसे आज दर्शन के लिए खोल दिया गया.
कोरोना गाइडलाइंस का किया जा रहा है पालन
कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए मां मुंडेश्वरी का मंदिर खोला गया है. मंदिर को दिन भर में तीन से चार बार सैनिटाइज किया जा रहा है. मंदिर परिसर के अंदर सभी का मास्क पहन के आना अनिवार्य है. साथ ही मंदिर परिसर के मुख्य द्वार पर सभी श्रद्धालुओं का कोरोना जांच और थर्मल स्क्रीनिंग किया जा रहा है.
विश्व विख्यात है मां मुंडेश्वरी शक्ति पीठ
मालूम हो कि मां मुंडेश्वरी का मंदिर अष्टकोण रूप में पवरा पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर को बनाया नहीं गया है बल्कि इसकी खोज की गई है. इस मंदिर का सबसे ज्यादा विख्यात रक्तहीन बली है. ऐसी बली पूरे देश के साथ विश्व में कहीं नहीं दी जाती है. यहां बकरे को माता रानी के चरणों में सुलाकर अक्छत फूल छींटने के बाद बकरा निर्जीव हो जाता है, फिर थोड़ी देर में ही माता रानी के पुजारी मंत्र पढ़कर बकरे पर अक्छत फूल छींटते हैं तो बकरा जीवित हो जाता है. इस बली के कारण देश से नहीं विदेशों में भी माता मुंडेश्वरी विख्यात हैं.
भक्तों की सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरी
मां मुंडेश्वरी मंदिर के पुजारी राधेश्याम झा बताते हैं कि आज से ही मां मुंडेश्वरी मंदिर का पट भक्तों के लिए खुला है. इसके पहले मार्च में जब लॉकडाउन लगा था तब से मंदिर बंद था. बीच में मंदिर एक महीने के लिए खुला था फिर बंद कर दिया गया. उन्होंने कहा जो भक्त मां मुंडेश्वरी के शक्तिपीठ में आते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. यहां के बलि का अद्भुत प्रथा है. यह मंदिर अष्ट कोड़िए है. ऐसा भारतवर्ष में इकलौता यही मंदिर है.
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