पूर्णियाः बाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया का भट्टा बाजार भारत की दूसरी ऐसी जगह है जहां के झंडा चौक पर आजादी से लेकर अब तक बीते 74 सालों से 14 और 15 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजे तिरंगा फहराया जाता है. इस परंपरा को आज तक निभाया जा रहा है. इसमें राजनितिक दल के सदस्यों से लेकर सामाजिक लोग भी शामिल होते हैं.
हर साल की तरह इस बार भी हमेशा की तरह बाघा बॉर्डर के साथ-साथ पूर्णिया के भट्टा बाजार में 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मध्य रात्रि में 12 बजकर 1 मिनट पर झंडा फहराया गया. इस कार्यक्रम में सदर विधायक विजय खेमका के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पौत्र सहित अन्य समाजसेवी शामिल हुए. ध्वजारोहण के समय हर बार की तरह इस बार भी लोगों का सिर गर्व से ऊंचा हो गया. इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे.
रेडियो पर घोषणा होते ही बदल गया था माहौल
हालांकि जिन्हें नहीं पता है उनके मन में ये सवाल उठता है कि आखिर बाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया के झंडा चौक पर ही मध्य रात्रि में ध्वजारोहण क्यूं होता है? इसकी परंपरा के बारे में बताया जाता है कि वर्ष 1947 को 14 और 15 अगस्त की मध्य रात्रि ठीक 12 बजे जैसे ही रेडियो पर ये घोषणा हुई कि भारत एक स्वतंत्र गणराज्य है. इसके बाद माहौल बदल गया था. ठीक उसी वक्त पूर्णिया में आजादी के दीवाने और स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामरतन साह और शमशुल हक ने साथ मिलकर मध्य रात्रि में ही भट्ठा बाजार में तिरंगा फहराया था. उस समय से लेकर आज तक हर साल यहां मध्य रात्रि में झंडा फहराने की परंपरा चली आ रही है. बता दें कि भारत में सिर्फ बाघा बॉर्डर और पूर्णिया के झंडा चौक पर ही मध्य रात्रि 12 बजकर 1 मिनट पर ध्वजारोहण होता है.
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