पटना: जेडीयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक के दौरान शनिवार को जिस प्रकार सीएम नीतीश का दर्द छलका और उन्होंने बैठक के दौरान जिस लहजे में पार्टी नेताओं को संबोधित किया उससे यह स्पष्ट हो गया कि बिहार में तीसरी नंबर की पार्टी बनने का दर्द वे भूल नहीं पा रहे. खासकर उनके इस बयान, " विधानसभा चुनाव में उन्हें समझ ही नहीं आया कि कौन साथ दे रहा और कौन नहीं?" ने सूबे का सियासी पारा बढ़ा दिया है.


ललन सिंह ने कही ये बात


अब सीएम नीतीश के बाद उनके बेहद करीबी मानें जाने वाले जेडीयू नेता और सांसद ललन सिंह ने भी सवाल उठाया है. जेडीयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन चुनावी नतीजों और संगठन बदलाव पर चर्चा के दौरान जेडीयू नेता ललन सिंह ने बिना किसी का नाम लिए पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के सामने सवाल करते हुए कहा कि ये कैसे हो सकता है कि जिस नेता के नेतृत्व में गठबंधन चुनाव जीती, बहुमत मिला, उसकी ही पार्टी को इतनी कम सीट आए? इसका मतलब साफ है कि हमारे खिलाफ साजिश रची गई है.


जनता तक नहीं पहुंचा इम्पैक्ट


बता दें कि जेडीयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू कोटे से 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया. इतनी महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया कि हर तरफ चर्चा हुई. सबने कहा कि ऐसा तो किसी ने नहीं किया. लेकिन इसका इंपैक्ट नीचे तक नहीं गया. इतना कम समय था कि पता नहीं चला कौन साथ दे रहा है और कौन नहीं दे रहा है.


साथियों ने भी दिया धोखा


सीएम नीतीश ने कहा था कि हमने हर जगह कहा कि नई पीढ़ी को बताईये कितना काम हुआ. लेकिन सरकार के कामों को हमारे साथियों ने घर-घर तक नहीं पहुंचाया. लोगों ने दुष्प्रचार किया, सोशल मीडिया के बुरे पहलू का इस्तमाल किया गया. टीचरों ने भी दुश्मन जैसा व्यवहार किया. वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर हुई देरी का भी उनको नुकसान हुआ. उन्हें पहले भी अंदेशा हो गया था कि चुनाव में क्या होने वाला है.


जीतन राम मांझी ने दी नसीहत


इधर, सीएम नीतीश के ऐसा कहने के बाद उनके सहयोगी और हम पार्टी प्रमुख जीतन मांझी ने उनका खुलकर समर्थन किया. हाल ही में कोरोना को मात देकर लौटे जीतन राम मांझी ने सहयोगी दलों को नीतीश कुमार से गठबंधन धर्म सीखने की नसीहत दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि राजनीति में गठबंधन धर्म को निभाना अगर सीखना है तो नीतीश कुमार जी से सीखा जा सकता है. गठबंधन में शामिल दल के आंतरिक विरोध और साज़िशों के बावजूद भी उनका सहयोग करना नीतीश जी को राजनैतिक तौर पर और महान बनाता है. नीतीश कुमार के जज़्बे को मांझी का सलाम.


गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को पूर्ण सहमति से सीएम कैंडिडट घोषित किया गया था. हालांकि, चुनाव बाद परिणाम में जेडीयू तीसरे नम्बर की पार्टी बन गई. जेडीयू को कुल 43 सीटें आयीं, जबकि बीजेपी ने 74 सीटों पर कब्जा जमाया. वहीं, विपक्षी पार्टी आरजेडी को सबसे अधिक 75 सीटें मिली थीं.