पटना: जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार का गठन हो गया है. सरकार गठन के बाद हुए कैबिनेट की बैठक में कुछ मंत्रियों को मंत्रालय भी सौंप दिया है, जबकि अब तक 36 सदस्यीय मंत्रिमंडल का अब तक विस्तार नहीं हो पाया है. हालांकि सूबे के सियासी गलियारे में यह चर्चा जोरों पर है कि विधानमंडल के समापन के 1 सप्ताह के अंदर मंत्री मंडल का विस्तार कर लिया जाएगा.


मंत्रिमंडल के विस्तार में जल्दी का कारण यह है कि अभी कई मंत्रियों के पास विभागों का अतिरिक्त बोझ है. ऐसे में माना जा रहा है कि एक साथ वे सभी विभागों का काम अच्छे से नहीं देख सकते.


बता दें कि उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के पास फिलहाल 6 विभाग, रेणु देवी के पास 3 विभाग, विजय चौधरी के पास 5 विभाग, बिजेंद्र प्रसाद के पास 4 विभाग, अशोक चौधरी के पास 5 विभाग, मंगल पांडेय के पास 3 विभाग, अमरेंद्र प्रताप सिंह के पास 3 विभाग और जीवेश मिश्रा के पास भी 3 विभाग की जिम्मेदारी है.


विवादों के बीच शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को छोड़ जदयू कोटे से फिलहाल चार मंत्री ही हैं. ऐसे में संभव है कि जदयू कोटे से आठ नए मंत्री शपथ लें. वहीं भाजपा कोटे से दस और मंत्री शपथ ले सकते हैं. भाजपा से पहले से दो उपमुख्यमंत्री समेत भाजपा के 7 मंत्री हैं. जबकि मंत्री हम और वीआईपी से एक-एक हैं. इस हिसाब से विस्तार के बाद 31 मंत्री हो जाएंगे.


पिछली सरकार में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सहित 33 मंत्री थे. ऐसी स्थिति में हो सकता है कि हम और वीआइपी को एक-एक मंत्री का कोटा कहीं और मिल जाए. लेकिन फार्मूले के हिसाब से यह संभव नहीं लग रहा क्योंकि वीआइपी को विधान परिषद की भी एक सीट मिलनी है.


मालूम हो कि नयी सरकार में जदयू के पास 20 महकमे हैं और भाजपा के पास 21 विभाग हैं. दो महकमे हम के पास हैं और एक विभाग वीआइपी को मिला है.