पटना: बिहार में लागू शराबबंदी कानून (Liquor Ban in Bihar) को लागू कराने में प्रदेश की पुलिस के लापरवाह रवैये को लेकर पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) द्वारा बुधवार को सरकार को फटकार लगाई गई है. कोर्ट द्वारा पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जाने के बाद विपक्ष ने नीतीश सरकार (Nitish Kumar) को घेरना शुरू कर दिया है. इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए आरजेडी (RJD) प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (Mrityunjay Tiwari) ने कहा कि जो आरोप नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) सरकार पर लगा रहे थे, उस पर हाई कोर्ट ने भी मुहर लगा दी.
सरकार के चेहरे पर करारा तमाचा
पार्टी प्रवक्ता ने कहा, " शराबबंदी कानून पर न्यायालय ने जिस तरह की टिप्पणी की है, उसके बाद सरकार में बैठे लोगों में अगर थोड़ी सी भी शर्म बची है, तो वो जनता से माफी मांगें. कानून के तहत कार्रवाई केवल छोटे लोगों पर होती है. बड़े लोग मजे से रहते हैं. शराब तस्करों पर आज तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई. वो गिरफ्तार नहीं किए गए. यही बात कोर्ट ने भी कह दी है, जो सरकार के चेहरे पर गंभीर तमाचा है. अब सरकार में बैठे लोग बताएं कि वो इस टिप्पणी पर क्या कहेंगे."
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बैकफुट पर आई जेडीयू
इधर, जेडीयू (JDU) इस मामले में बैकफुट पर नजर आ रही है. पार्टी एमएलसी गुलाम रसूल बलियाबी (Gulam Rasool Balyabi) ने कहा कि हाईकोर्ट के टिप्पणी पर कोई टिप्पणी नहीं की जाती है. न्यायपालिका के आदेश को इंप्लीमेंट कराया जाता है और सरकार द्वारा बनाए कानून और उसके प्रावधान के तहत न्यायालय दंडित करती है. इस क्रम में जो भी अपराधी हों या कानून विरोधी हों या कानून तोड़ने वाला हों उनके खिलाफ कानून अपना काम करती है. उन्होंने आरजेडी पर हमला करते हुए कहा, " जो शराब माफियाओं की पूंजी से राजनीत करते हैं, उनको बड़ी बेचैनी है. वो चाहते हैं कि कानून हट जाए. कानून तो अन्य अपराधों के लिए भी है तो क्या वो अपराध नहीं होते?"
कोर्ट की ओर से कही गई है ये बात
कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी के संबंध में न्यायालय के वरीय अधिवक्ता उपेंद्र प्रसाद ने बताया कि न्यायालय ने शराबबंदी में पुलिस प्रशासन की विफलता पर सरकार को फटकार लगाई है. न्यायालय की ओर से कहा गया है कि शराबबंदी के बावजूद शराब की खेप तो मिलती है, लेकिन शराब माफिया नहीं पकड़े जाते हैं. केस दर्ज होते हैं, उसके डेढ़-दो साल बाद शराब माफिया अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय में भीड़ लगाते हैं. इस कारण न्यायालय में दबाव बढ़ जाता है. अगर पुलिस शराब के साथ शराब माफिया पर भी त्वरित कार्रवाई करे, तो न्यायालय में जमानत के लिए लगने वाली भीड़ कम हो जाएगी.
कोर्ट की ओर से कहा गया, " जिस तरह बिहार पुलिस द्वारा शराब माफियाओं को गिरफ्तार नहीं किया जाता है, उससे यह लगता है कि पुलिस के कारण ही शराब माफिया बचते आ रहे हैं. बिहार में शराबबंदी कानून फेल हो रहा है. साथ ही न्यायालय में भी केस का दबाव बढ़ गया है."
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