पटनाः बिहार विधानसभा के इस शीतकालीन सत्र में एक नई परंपरा के तहत राष्ट्रगीत गाने की शुरुआत की गई है. शीतकालीन सत्र की शुरुआत में सभी विधायकों ने राष्ट्रगान (जन-गण) गाया गया था. शुक्रवार को सत्र के आखिरी दिन राष्ट्रगीत (वंदे-मातरम) गाया गया, लेकिन इसको लेकर बिहार विधानसभा में बवाल हो गया. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के विधायकों ने राष्ट्र गीत नहीं गाया. एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा कि बिहार विधानसभा के स्पीकर जबरदस्ती ये परंपरा थोप रहे हैं. बिना वजह राष्ट्रगीत गाना जरूरी नहीं है. संविधान में ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है.
अख्तरुल ईमान ने कहा, “मुझे राष्ट्रगीत यानी वंदे मातरम गाने में दिक्कत है. ये हमारी आस्था से जुड़ा है. कोई वेज होता है कोई नॉन वेज होता है. सब पर एक ही डंडा चला दोगे, ऐसा नहीं होता है. संविधान पूर्ण है. संविधान में प्रेम और भाईचारा है. संविधान में सभी धर्म का आदर का हुक्म दिया गया है. मैं वंदे मातरम नहीं गाता हूं और न ही गाऊंगा.”
आरजेडी, कांग्रेस और बीजेपी ने बोला हमला
राष्ट्र गीत नहीं गाने को लेकर अन्य पार्टियों के बयान भी आने लगे हैं. आरजेडी नेता विजय सम्राट ने कहा, “ये नई परंपरा जो आई है इसमें मैं चाहता हूं कि सभी लोगों से राय-विचार कर सदन को पहले ही इसकी सूचना देनी चाहिए थी. फिर ऐसा करना चाहिए था, लेकिन अब किया गया है तो इसमें कोई बुराई नहीं है.”
कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि मुझे राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान से कोई परहेज नहीं है. दोनों स्वतंत्रता आंदोलन से निकले हुए उद्घोष हैं और बड़े हर्ष के साथ इसे गाया जाता है. वहीं, बीजेपी विधायक विजय कुमार सिन्हा ने कहा, “राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत ये राष्ट्र के गौरव को बढ़ाता है. हमारी ऐतिहासिक क्षण को याद दिलाता है. हमारे विरासत पर गर्व करने का अवसर महसूस होता है.”