Bihar Air Pollution: CM नीतीश के गृह जिला की हवा देशभर में सबसे ज्यादा जहरीली, पटना का भी हाल बुरा
विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से टीवी, दमा और अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में परेशानी हो रही है. अधिक प्रदूषण होने से पहले की तुलना में मरीजों की संख्या 30 फीसद बढ़ गई है.
पटना: बिहार में वायु प्रदूषण का लेवल लगातार बढ़ रहा है. हवा में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने की वजह से लोगों के ऊपर खतरा मंडरा रहा है. सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की लिस्ट में बिहार के कई शहरों के नाम सामने आए हैं. वायु प्रदूषण के मामले में सीएम नीतीश के गृह जिला नालंदा का बिहारशरीफ टॉप पर है. यहां का एक्यूआई (AQI) लेवल 414 रेकॉर्ड किया गया है. बिहारशरीफ के अलावा हरियाणा का पानीपत भी टॉप पर है. वायु प्रदूषण विशेषज्ञों के मुताबिक बिहारशरीफ में धुआं और धूल कण दोनों सबसे अधिक हैं, जिस कारण प्रदूषण के ये हालात हैं.
नालंदा के अलावा बिहार के ये शहर भी खतरनाक स्तर पर पहुंचे
बिहारशरीफ के अलावा मुजफ्फरपुर में एक्यूआई लेवल 369, किशनगंज में 335, छपरा में 353 है, जो कि बेहद खतरनाक माना जाता है. पूर्णिया में 335, कटिहार में 345, बक्सर में 359, मोतिहारी में 291, सासाराम में 319, जबकि भागलपुर शहर में प्रदूषण का लेवल 332 AQI दर्ज किया गया है.
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दिल्ली के मुकाबले पटना की हालत बेहद खराब
वायु प्रदूषण के मामले में राजधानी पटना, दिल्ली से भी खराब स्तर पर पहुंच गया है. पटना का हुत ही बुरा हाल है. यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से 350 तक रिकॉर्ड किया गया है. दूसरी ओर हाजीपुर का हाल भी बेहद खराब है. यहां भी वायु प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ गया है.
सांस से संबंधित रोगियों के लिए बेहद घातक
पटना की हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से टीवी, दमा जैसे सांस से संबंधित मरीजों के लिए परेशानी बढ़ गई है. मरीजों को सांस लेने में भारी परेशानी हो रही है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच के हार्ट रोग विशेषज्ञों के मुताबिक यहां की हवा में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा बढ़ने से टीवी, दमा और अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में परेशानी हो रही है. अधिक प्रदूषण होने से पीएमसीएच में पहले की तुलना में मरीजों की संख्या 30% फीसद बढ़ गई है.
वायु प्रदूषण के कारण आ रही ये समस्याएं
वायु प्रदूषण विशेषज्ञों के मुताबिक बिहार में उद्योग धंधे तो उतने नहीं हैं लेकिन यहां सड़कों पर दौड़ने वाली पुरानी गाड़ियां ही प्रदूषण की मेन वजह है. बिहार में सरकार को प्राइवेट पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इंजन की जांच करानी चाहिए. इसके अलावा राज्य के ज्यादातर शहरों में भवन निर्माण के दौरान विभाग की ओर से गाइडलाइन का पालन नहीं किया करने पर भी सरकार को नकेल कसने की जरूरत है इन सभी नियमों को दरकिनार करने से ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है.
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