कटिहार: कभी कटिहार के कुर्सेला का गौरव रहा हवाई अड्डा वर्तमान में अतीत के पन्नों में सिमट गया है. अब न ही रनवे है और न ही पंख लगे जहाज उड़ान भरते हैं. एक दौर वो भी था जब देश-प्रदेश के बड़े नेता इस हवाई अड्डे पर जहाज से उतर कर कार्यक्रमों में शामिल होने जाया करते थे. सुदूर क्षेत्रों के लोग जहाज को देखने यहां आया करते थे.


मेहनताना के बदले में लेते थे जमीन


अयोध्या गंज के नाम से चर्चित कुर्सेला को स्वर्गीय अयोध्या प्रसाद सिंह की विरासत के रूप में भी जाना जाता रहा है. जानकारों की मानें तो 19वीं सदी में अंग्रेजों के शासनकाल में इस गांव में इंडिको प्लांटेशन द्वारा नील की खेती की जाती थी और तैयार समान सहित अन्य कार्यों को अपनी  बैलगाड़ी से अंग्रेजों के लिए भेजने वाले अयोध्या प्रसाद काम के बदले मेहनताना के रूप में अंग्रेजों से जमीन लिया करते थे. इस तरह वो 50 हज़ार एकड़ जमीन के मालिक बन गए. उनके नाम को उनके पुत्र रॉयबहादुर रघुवंश प्रसाद सिंह ने बढ़ाया. रघुवंश जी के तीन पुत्र और दो पुत्री थे. इनके एक पुत्र अवधेश सिंह 1952 में कांग्रेस से सांसद बने और दूसरे पुत्र अखिलेश सिंह निर्विरोध मुखिया बनते रहे.



हवाई अड्डा खेत में हो गया तब्दील


आज के दौर में हवाई अड्डा के पिच को जोत कर फसलें उगायी जाती हैं. मैदान का चिह्न खेतों में सिमट गया है. रनवे बनने की गुंजाइश खत्म हो गयी है. अब तो कुर्सेला के लोग हवाई अड्डा के यादों को भी भुलने लगे हैं. कुर्सेला के इस गौरव की यादों के रूप मे आज भी दो चार्टर्ड प्लेन बची हैं. पच्चीस एकड़ क्षेत्र में फैला यह हवाई अड्डा स्वर्गीय रघुवंश नारायण सिंह, रायबहादुर कुर्सेला स्टेट का था. राय बहादुर के देहांत के बाद स्टेट कई हिस्सा खेतों के रूप में कई टुकड़ों में बंट गया.


जहाजों में पायलट सहित हुआ करता था पांच सीट


लेकिन आज भी दो चार्टर्ड प्लेन के ढांचे यादों को जीवंत कर रहे हैं टीन की चादरों से बने जो दो पुराने प्लेन का खाका है. उनमें एक का नाम बिचक्राफ्ट बनाजा और दूसरा अरुणकासिडेन है. जानकारों की माने तो दोनों जहाजों में पायलट सहित पांच सीट हुआ करता था. दोनों जहाज को  कुर्सेला स्टेट के लोग अक्सर बाहर आने-जाने में उपयोग किया करते थे. अंग्रेजों द्वारा रायबहादुर के खिताब से विभूषित रघुवंश नारायण सिंह ने हवाई साधन के रूप में जहाजों को खरीद कर रनवे के रूप में बड़ा पिच बनवाया था, जिस दौर में आम लोगों के लिए साइकिल की सवारी बड़ी बात थी. उस वक्त इस स्टेट में जहाज की मौजूदगी पूरे क्षेत्र को गौरव दिलाता था.


कुर्सेला स्टेट की थी अपनी अलग ही पहचान


आजादी के बाद इन स्टेटों के रुतबों को ग्रहण लगना शुरू हो गया, अब तो इस इलाके का गौरव रहा हवाई अड्डा भी अतीत की यादों में सिमटने लगा है. अब न ही वे रनवे ही बचे हैं और न ही अब पंख लगे जहाज उड़ान ही भरते हैं


खत्म हो गया कुर्सेला स्टेट का गौरव


पकंज कुमार सिंह (पति-संयुक्ता सिंह) की माने तो सिलिंग एक्ट के तहत निर्धारित युनिट में दो सौ सत्तर एकड़ भूमि कुरसेला स्टेट परिवार को मिली थी. इसी भूमि में हवाई अड्डा का जमीन भी शामिल है. पूर्वजों और कुर्सेला का गौरव रहा हवाई अड्डा के अस्तित्व खत्म होने का स्टेट परिवार को भी दुख है. यह ना केवल क्षेत्र का गौरव था बल्कि कुर्सेला स्टेट का अमूल्य धरोहर भी था.