Anand Mohan Case: 'आनंद मोहन की बढ़ सकती हैं मुश्किलें अगर...', हाई कोर्ट के वकील ने बताई वजह, सियासत हुई तेज
Anand Mohan News: आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नीतीश सरकार बीजेपी के निशाने पर आ गई है. वहीं, इस मामले को लेकर कानूनी पेंच को पटना उच्च न्यायालय के एडवोकेट ने बताया.
पटना: बिहार में इन दिनों आनंद मोहन (Anand Mohan) की खूब चर्चा हो रही है. आनंद मोहन को लेकर जमकर राजनीतिक बयानबाजी हो रही है. बीजेपी (BJP) इस मद्दे पर सरकार को घेर रही है तो सत्तारूढ़ दल पटलवार कर रहा है. आनंद मोहन के साथ सुशील मोदी की तस्वीर दिखाते हुए सीएम (Nitish Kumar) ने शुक्रवार को सुशील मोदी (Sushil Modi) पर निशाना साधा था. इस पर सुशील मोदी ने जवाब देते हुए शनिवार को कहा कि किसी के साथ फोटो खिंचवा लेना कोई गुनाह नहीं है. वहीं, आनंद मोहन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इस मामले को लेकर पटना उच्च न्यायालय के एडवोकेट देव प्रकाश सिंह ने बताया कि इस मामले में केंद्र सरकार से निर्णय लेकर ही रिलीज किया जाना चाहिए था.
सुशील कुमार मोदी ने सीएम नीतीश को घेरा
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद यादव तो चार मामलों में सजायाफ्ता हैं तो उनके साथ मेरी फोटो आती है तो क्या हम उनके भ्रष्टाचार में साथ दे रहे हैं? उनके घर में शादी थी हम सभी को बुलाया गया था हम भी गए थे, तो कल को लालू यादव के साथ तस्वीर दिखा देंगे और कहेंगे कि जिन्होंने मुकदमा किया अब साथ है, यह सब पूरी तरह बकवास बात है लेकिन मुख्यमंत्री यह कह रहे है कि बीजेपी ने आनंद मोहन की रिहाई की मांग की थी. मेरा कहना है कि हमने मांग की थी लेकिन हम लोग ने जेल मैनुअल कानून में संशोधन करके रिहाई करने की बात कहा था क्या? हमने यह थोड़े कहा था कि पब्लिक सर्वेंट जो प्रोटेक्शन मिला है, उसे एबेटमेंट करके एक व्यक्ति को छोड़ दीजिए.
'अब मुख्यमंत्री बचकाना तर्क दे रहे हैं'
बीजेपी नेता ने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने स्वार्थ के लिए 2016 में एक कार्य को जेल में इतना जटिल कर दिया. 2012 का जो कानून था उसमें 20 साल की सजा के बाद किसी भी कैदी की रिहाई का प्रावधान था, लेकिन 2016 में उसे उन्होंने और जटिल कर दिया कि लोक सेवक की हत्या करने में 20 साल के बाद भी रिहाई नहीं होगी. अब उन्होंने आम और खास को एक पलड़े में रखकर कानून में संशोधन कर दिया है और कह रहे हैं कि बीजेपी ने कहा था. अब मुख्यमंत्री बचकाना तर्क दे रहे हैं कि आम और खास में अंतर मिटा दिया जाए.
'एक व्यक्ति को टारगेट कर कानून को कठोर किए थे सीएम'
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार एक व्यक्ति को टारगेट करके 2016 में जेल मैनुअल कानून को पूरी तरह कठोर कर दिया और अब राजनीतिक स्वार्थ के लिए उस कानून में एक लाइन हटाकर कानून में संशोधन कर दिया. अब यह कह रहे हैं कि हमने आम और खास में अंतर मिटा दिया, यह कितना भद्दा मजाक है उन सरकारी सेवकों के लिए जो अपने कर्तव्य का पालन करते हुए उनकी हत्या हो जाती है और इस पर मुख्यमंत्री इस तरह की बात करते हैं.
पटना उच्च न्यायालय के एडवोकेट ने दी जानकारी
वहीं, आनंद मोहन की रिहाई पर पटना उच्च न्यायालय के एडवोकेट देव प्रकाश सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि आनंद मोहन की रिहाई में सबको पता है 2012 के जेल मैनुअल कानून में धारा और 481A में संशोधन किया गया है. इसमे प्रावधान था कि किसी पब्लिक सर्वेंट की हत्या होती है तो उसमें 431 ए के तहत राज्य सरकार के पास यह पावर है और उस प्रोविजन के तहत आनंद मोहन को रिलीज कर दिया गया है, लेकिन उसमें यह भी लिखा हुआ है कि किन विषयों में राज्य सरकार कानून बनाएगी और किन विषयों में कानून केंद्र सरकार बनाएगी.
केंद्रीय मिनिस्ट्री को पावर है, राज्य सरकार को नहीं है'
पटना उच्च न्यायालय के एडवोकेट ने बताया कि अगर केंद्रीय सेवक की हत्या होती है तो उसमें सीआरपीसी धारा 435 A का प्रावधान है. जी कृष्णैया आईएएस ऑफिसर थे इसमें केंद्रीय मिनिस्ट्री से कंसल्टेशन लेना चाहिए था. इनमें 431 ए के तहत राज्य सरकार को निर्णय नहीं लेना चाहिए था. इसमें 435 धारा के तहत केंद्र सरकार से निर्णय लेकर ही रिलीज किया जाना चाहिए था. वैसे वे 14 साल आनंद मोहन सजा भुगत चुके हैं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी. राज्य सरकार के पास पावर है लेकिन सभी मामलों में नहीं है. रेप का मामला हो या आम मर्डर का मामला हो राज्य के सरकारी सेवक की हत्या पर राज्य सरकार निर्णय ले सकती है. राज्य सरकार को सजा कम करने या माफ करने का प्रोविजन है, लेकिन जी कृष्णैया मामले में केंद्रीय मिनिस्ट्री को पावर है, राज्य सरकार को नहीं है.
नीतीश कुमार ने सुशील मोदी पर साधा था निशाना
बता दें कि नीतीश कुमार ने इस मामले में शुक्रवार को कहा कि क्या सरकारी अधिकारी और सामान आदमी की हत्या में फर्क होना चाहिए? सब एक सामान होना चाहिए. सीएम हाथ में अखबार का कटिंग दिखाए, जिसमें बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी की तस्वीर आनंद मोहन के साथ थी और सुशील कुमार मोदी आनंद मोहन की रिहाई की मांग कर रहे थे. सुशील मोदी आज विरोध कर रहे हैं. कुछ समय पहले आनंद मोहन से वह मिले थे और रिहाई की मांग कर रहे थे.