पटना: बिहार में 'ठाकुर' पर राजनीति शुरू हो गई है. आरजेडी विधायक चेतन आनंद (Chetan Anand) ने जैसे ही अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसद मनोज झा (Manoj Jha) के विचारों का विरोध किया तो आनंद मोहन (Anand Mohan) के बाद अब सुरभि आनंद (Surbhi Anand) ने भी मनोज झा को जवाब दिया है. सुरभि आनंद ने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर मनोज झा पर निशाना साधा.
आपकी इतनी हैसियत नहीं: सुरभि आनंद
सुरभि आनंद ने फेसबुक पर लिखा- "माननीय मनोज झा जी, अगर मारना ही है तो अपने अंदर के ब्राह्मणवाद को मारो! ऐसी सोच जो इंसान को एक दूसरे से लड़ाती हो तथा छुआछूत तक करने पर मजबूर करती हो, ऐसी सोच जो इंसान को इंसान से भेदभाव करना सिखाती हो, ऐसी सोच को मारना जरूरी है. हम भगवान श्री कृष्ण जी को भी 'ठाकुर जी' कहकर संबोधित करते हैं. कहां-कहां से मारोगे ठाकुरों को, आपकी इतनी हैसियत नहीं है!"
भरी जवानी में मरा ठाकुर...
सुरभि आनंद ने अपने एक दूसरे पोस्ट में लिखा कि, "ठाकुर होना आसान नहीं होता! कभी कासिम तो कभी गजनी से भिड़ा ठाकुर! हार तो तय थी...पर लड़ा ठाकुर! हारना ही था उसे, वो अकेला जो लड़ा था, क्या जन्मभूमि ये तुम्हारी नहीं थी? फिर क्यों अकेला लड़ा ठाकुर? बीवी सती हुई, बच्चे अनाथ!! हिंदू तो बचा पर, भरी जवानी में मरा ठाकुर!
आगे सुरभि आनंद लिखती हैं, "सदियों से रक्त दे माटी को सींचा, जन, जन्मभूमि और धर्म की वेदी पर मिटा ठाकुर! जिनके लिए सब कुछ खोया, क्यों उनकी ही नजरों में बुरा? फिल्मों का ठाकुर! कहानियों-किस्सों का ठाकुर! कविताओं का ठाकुर! जब दुबक बैठे थे घरों में सब तमाशबीन, तब पीढियां युद्ध भूमि में बलिदान कर रहा था ठाकुर, आज बुद्धिजीवी पानी पी पीकर बरगलाते और कोसते कि आखिर कौन है ये ठाकुर..? कौन बताए उन्हें कि कफन केसरिया करके, मूंछों पर ताव देकर मौत को गले लगाने वाला जांबाज ही था ठाकुर."
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