Anand Mohan Exclusive: 'मेरी फितरत नहीं कि राजपूत...', आनंद मोहन की रिहाई से 2024 में किसे होगा फायदा?
Anand Mohan Interview: आनंद मोहन ने कहा कि जो घटना 1994 में हुई उसमें दो परिवार बर्बाद हो गया. मेरा और जी कृष्णैया का परिवार. बाकी लोग झाल बजा रहे हैं.
पटना: बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) की रिहाई का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सियासी गलियारे में हलचल तेज है. सोमवार (24 अप्रैल) को उनके बेटे चेतन आनंद (Chetan Anand) की सगाई थी और इसी दिन रिहाई की भी खुशखबरी मिल गई. मंगलवार (25 अप्रैल) को एबीपी न्यूज़ ने आनंद मोहन से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
आनंद मोहन ने कहा कि उनके बारे में जो बातें फैलाई जा रही हैं कि उनकी रिहाई के लिए जेल कानून में बदलाव हुआ. यह सब वह झेलते रहेंगे. उन्होंने कहा कि मंत्री परिषद का जो फैसला आया है उसमें जिक्र है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में नियम को विलोपित किया जाता है. जेल नियमों में बदलाव हुआ. यह नियम मेरे पर लागू नहीं हुआ. यह नियम 2012 में आया. मुझे सजा 2007 में हुई. यह नियम तो 2012 के बाद न लागू होगा.
'100 फीसद समाज की राजनीति करते रहे हैं'
2024 में लोकसभा का चुनाव है. इसको लेकर किए गए सवाल पर आनंद मोहन ने कहा कि लाभ लेने की कोशिश महागठबंधन नहीं करेगा. उनके समाज के लोगों को खुश कर वोट लेने की यह कवायद नहीं है. कहा कि वह स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं. बैकवर्ड या फॉरवर्ड की राजनीति में विश्वास नहीं रखते. वह जेपी आंदोलन की उपज हैं. आनंद मोहन ने कहा कि मेरी फितरत नहीं कि राजपूत की राजनीति हम करें. 100 फीसद समाज की राजनीति करते रहे हैं. आगे भी करेंगे. सक्रिय राजनीति में रहेंगे. 2024 के लोकसभा चुनाव पर कहा कि मजबूत सत्ता के खिलाफ एक लंगड़ा विकलांग विपक्ष लड़ाई नहीं लड़ सकता.
…कौन मायावती?
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया था कि जी कृष्णैया ईमानदार आईएएस थे. जेल कानून में बदलाव कर आनंद मोहन को रिहा किया जा रहा इससे दलितों में आक्रोश है. इसको लेकर किए गए सवाल पर आनंद मोहन ने कहा कि कौन मायावती? मैं मायावती को नहीं जानता. मेरी रिहाई के आदेश से दलितों में नाराजगी नहीं है. सत्यनारायण की पूजा में कलावती शब्द सूना हूं. मायावती को नहीं पहचानता. कुछ नेताओं को कहना चाहता हूं कि दलित समाज के ठेकेदार न बनें. चुनौती देता हूं कि एक भी दलित मेरे खिलाफ नहीं बोल सकता. दलितों की हक की लड़ाई लड़ा हूं.
आनंद मोहन ने लोहिया, जेपी से नीतीश कुमार की तुलना की. कहा कि उन लोगों की तरह नीतीश काम कर रहे. विपक्ष को एकजुट कर मजबूत कर रहे हैं. मेरे साथ ऐसे 26 लोगों की रिहाई हो गई जो बड़े अपराधी हैं तो ठीक है, जो सजा काट लिए उनकी रिहाई तो होगी ही. यह नियम है. जबरदस्ती जेल में रखिएगा क्या? अन्य 26 अपनी सजा काट के निकल रहे हैं.
'जो घटना हुई उसमें दो परिवार बर्बाद हुआ'
आनंद मोहन ने कहा कि माफी मांगने जैसा कुछ नहीं है. सबकुछ नियति पर छोड़ दिया हूं. जो घटना 1994 में हुई उसमें दो परिवार बर्बाद हो गया. मेरा और जी कृष्णैया का परिवार. बाकी लोग झाल बजा रहे हैं. क्या घटना हुई इसकी समीक्षा होते रहे, मुझे कुछ नहीं बोलना.
बता दें कि आनंद मोहन अभी 15 दिन के पैरोल पर बाहर हैं. बेटे और आरजेडी विधायक चेतन आनंद की सगाई पर वह पैरोल पर बाहर हैं. 10 अप्रैल को बिहार सरकार ने बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम 481 (I) (क) बदलाव किया था. इसके बाद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया था. बिहार सरकार ने कारा हस्तक से उस वाक्यांश को ही विलोपित कर दिया था जिसमें सरकार कर्मचारी की हत्या का जिक्र था. आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में सजा पूरी कर चुके हैं.
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