गोपालगंज: डीएम जी कृष्णैया (DM G Krishnaiah) की हत्या के 28 साल बाद उनके ड्राइवर और घटना के चश्मदीद दीपक कुमार (Driver Deepak Kumar) ने बड़ा खुलासा किया है. दीपक कुमार को आज भी डीएम की हत्या की खौफनाक मंजर याद है. उन दिनों को याद कर दीपक ने बताया कि साल-1994 में पांच दिसंबर का दिन था, जब गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया अपनी एंबेसडर कार से वैशाली से मीटिंग से निकले थे. गाड़ी में डीएम बीच में बैठे थें. आगे उनका बॉर्डीगार्ड, साथ में एक फोटाग्राफर और स्टेयरिंग पर खुद दीपक कुमार थे. जी कृष्णैया की हत्या वाले दिन का पूरा वाकया दीपक कुमार ने बताया.


पांच हजार से ज्यादा लोग शामिल थे- दीपक 


दीपक ने आगे बताया कि डीएम की कार मुजफ्फरपुर में सदर थाने के खबरा गांव में पहुंची तो वहां एनएच-28 जाम कर सड़क पर उतरी भीड़ ने डीएम की गाड़ी देखते ही हमला शुरू कर दिया. दीपक कुमार बताते हैं कि भीड़ में करीब पांच हजार से ज्यादा लोग शामिल थे. हालात को देख ड्राइवर दीपक कुमार ने गाड़ी को बैक गियर में लिया और पीछे भगाने लगे, लेकिन डीएम जी कृष्णैया ने गाड़ी रोकने का आदेश दिया. 


 'साहेब बाहर मत जाओ'


जी कृष्णैया के ड्राइवर ने बताया कि जब भीड़ ने हमला शुरू किया तो गाड़ी को बैक गियर में लेकर भागने लगे. भीड़ उनका पीछा कर रही थी, लेकिन डीएम ने उनकी गाड़ी रोकवा दी. गाड़ी रुकते ही डीएम बाहर निकलने लगे. तब दीपक ने कहा कि मैंने डीएम जी कृष्णैया साहब से कहा 'साहेब' बाहर मत जाओ. बाहर मत निकलिए, कई बार चिल्लाने के बाद भी डीएम साहब नहीं माने, वो अपना फर्ज निभाने के चक्कर में पड़े रहे. डीएम जैसे ही गाड़ी से बाहर उतरे, भीड़ ने उनपर हमला कर दिया.


इलाज के दौरान जी कृष्णैया की हुई थी मौत


खून से लथपथ डीएम को अस्पताल पहुंचाया,जहां इलाज के दौरान जी कृष्णैया की मौत हो गई. डीएम की हत्या के मामले में मुजफ्फरपुर के सदर थाने में कांड संख्या 216/1994 है. इस घटना में चार पन्नों की प्राथमिकी में 36 लोगों का संयुक्त परीक्षण कराया गया था. लगभग 29 साल बाद एकमात्र सजायाफ्ता गैंगस्टर और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को नियमों में बदलाव कर गुरुवार की अहले सुबह रिहा कर दिया गया है.  


दीपक को भी लगी थी चोट


बता दें कि दीपक कुमार गोपालगंज के अधिवक्ता नगर मोहल्ले के रहने वाले हैं और आज भी गोपालगंज के डीएम की गाड़ी चलाते हैं. डीएम की हत्या के दौरान दीपक को भी गंभीर चोटें आईं थीं. सिर और कान-नाक में अधिक चोट आई थी. कान में इस कदर चोट लगी कि उन्हें सुनाई कम देता है. दीपक ने कहा कि इस घटना के बाद से काफी दहशत में रहता हूं, जब भी किसी अफसर को लेकर जाता हूं तो सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहता हूं. वह कहते हैं कि अब वह ऐसे हालात में कभी अफसरों की बात नहीं मानने वाले हैं.


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