Anand Mohan Row: पहले 'टाइट' हुए नीतीश... अब दी ढील! 2016 में CM ने क्या किया था संशोधन? सुशील मोदी ने उठाए सवाल
Bihar Politics: बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई पर सुशील मोदी ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को लाभ देने के लिए इस तरह का संशोधन कराया गया है.
पटना: जेल मैनुअल संशोधन और बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के मामले में बीजेपी नेता और राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने आनंद मोहन का विरोध तो नहीं किया लेकिन नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला है. साथ ही कुख्यात अपराधियों को छुड़ाने का आरोप लगाया है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यह रिहाई कैसे संभव है. सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश जी ने ही 2016 में संशोधन किया था.
'जेल मैनुअल संशोधन पूरी तरह असंवैधानिक'
उन्होंने यहां तक कह डाला कि जेल मैनुअल संशोधन पूरी तरह असंवैधानिक है. यह कुछ लोगों को लाभ देने के लिए इस तरह का संशोधन कराया गया है. उन्होंने कहा कि इसका हम विरोध करते हैं. कोई सरकारी सेवक की हत्या कर देगा और उसे कानून संशोधन करके छोड़ दिया जाएगा.
'नीतीश जी ने ही 2016 में संशोधन किया था'
बीजेपी नेता और राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश जी ने ही 2016 में संशोधन किया था कि कोई कुख्यात अपराधी, आतंकवादी या कोई सरकारी सेवक की हत्या कर देता है उसको रिजर्वेशन नहीं मिलेगा. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि वे खुद इस तरह का संशोधन किए और 6 साल बाद फिर संशोधन करके एक लाइन को हटा रहे हैं. यह सरकार दलित विरोधी है.
नीतीश सरकार पर कुख्यात अपराधियों को छुड़ाने का आरोप
बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई का हम विरोध नहीं करते हैं. लेकिन 27 लोगों को छोड़ा जा रहा है, इसमें आनंद मोहन को छोड़कर सभी दुर्दांत अपराधी हैं. आप कानून में संशोधन करके वैसे व्यक्ति को छोड़ रहे हैं जो एक दलित अधिकारी की हत्या करके जेल में गया है और आप उसे छोड़ रहे हैं. हजारों सरकारी अधिकारी है ऐसे में तो कोई भी उसकी हत्या कर देगा और 10 साल 12 साल के बाद छूट कर आ जाएगा.
सुशील मोदी ने कहा कि आनंद मोहन का तो हम विरोध नहीं करते हैं लेकिन जिस तरह से अवधेश मंडल और तारामंडल जैसे कुख्यात अपराधी को छोड़ा जा रहा है, जो सरकारी अधिकारियों की हत्या किए हैं और नीतीश जी अगर यह सोच रहे हैं कि उनको राजनीति लाभ मिलेगा तो वह सपना देख रहे हैं. यह राजनीति मुद्दा तो बनेगा इसका कोर्ट में चैलेंज होगा अगर कोर्ट में चैलेंज नहीं हुआ तो हम लोग मुद्दा इसको बनाएंगे. जनता जानना चाहेगी कि यह 27 लोग कौन हैं. दलित अधिकारी की हत्या करने वाले हत्यारों को इस तरह क्यों छोड़ा जा रहा है. इसमें पॉलिटिकल व्यक्ति आनंद मोहन को छोड़कर बाकी सभी दुर्दांत अपराधी हैं.
क्या हुआ कानून में संशोधन
पहला कदम- 26 मई 2016 को जेल मैनुअल, 2012 के नियम 481 (1) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था, जिसके मुताबिक कैदी रिहा नहीं होंगे.
दूसरा कदम- 10 अप्रैल 2023 को बिहार सरकार ने बदलाव किया. जेल मैनुअल से 'काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या' अंश को हटा दिया गया. इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई को रास्ता साफ हो गया.
इसे भी पढ़ें: Bihar Politics: बिहार में 'आनंद' की राजनीति! 'R' फैक्टर से 'M' को फायदा या नुकसान? | जानिए बड़ी बातें