गयाः जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर इमामगंज प्रखंड की बिराज पंचायत के कादिरपुर गांव में बना एपीएचसी आज तबेला बन गया है. लोगों को छोटी बीमारी के लिए भी 18 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘हम’ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी इमामगंज सीट से ही विधायक हैं जहां की स्थिति तस्वीर से देखी जा सकती है.
इस गांव के रहने वाले रंजय यादव ने बताया कि पहले जब भवन ठीक था तो कभी-कभी एएनएम दिख जाती थीं. चार साल पहले भवन क्षतिग्रस्त हो गया जिसके बाद से यहां कोई नहीं आता है. महीने में अगर कभी कोई एएनएम आ भी गई तो ग्रामीणों के घरों में बैठकर अपना काम करके चली जाती हैं. गांव के जगदेव प्रसाद यादव ने कहा कि खाली पड़े भवन को देख स्थानीय लोगों ने जानवरों को बांधना शुरू कर दिया है. यहां बीमार होने पर 18 किलोमीटर दूर पीएचसी में जाना पड़ता है जिससे परेशानी होती है.
इममामगंज प्रखंड की छकरबंधा पंचायत में एपीएचसी बनकर तैयार था लेकिन बनने के 20 साल बाद भी यहां किसी की प्रतिनियुक्ति नहीं हो सकी. इसी तरह भवन खाली व जर्जर पड़ा है. मुखिया प्रतिनिधि श्याम सुंदर प्रसाद ने बताया कि कई बार आवाज उठाई गई थी लेकिन कुछ नहीं हो सका है. ग्रामीण शहनाज परवीन बताती हैं कि जब यह अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था तो लोगों में खुशी थी कि अब उनके भी गांव में अस्पताल होगा लेकिन यह सपना अधूरा ही रह गया.
डॉक्टरों के अभाव में एपीएचसी बंद
वहीं तीसरा मामला बिकोपुर पंचायत का है, जहां पिछले कई वर्षों से डॉक्टरों के अभाव में एपीएचसी बंद है. गांव के मो. शनुवर ने बताया कि हजारों लोगों पर एक एपीएचसी है और इस कोरोनाकाल में भी बंद पड़ा है. गांव के कई लोग कोरोना संक्रमित हैं जो होम आईसोलेशन में हैं. मुखिया प्रतिनिधि मो. छोटन खान ने कहा कि विभाग को कई बार पत्र भेजा गया है, कोई कार्रवाई नहीं हो रही.
सिविल सर्जन डॉ. केके राय ने बताया कि यह मामला संज्ञान में आया है. जिस डॉक्टर की वहां प्रतिनियुक्ति की गई थी उन्हें महकार पीएचसी में ट्रांसफर कर दिया गया है. 27 मई को ही वापस बिकोपुर पंचायत के एपीएचसी में ड्यूटी लगाई गई है लेकिन अभी तक नहीं जा पाए हैं, जो जल्द ही जॉइन कर लेंगे.
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