पटना: साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव प्रस्तवित है. चुनाव से पहले बिहार की दो बड़ी पार्टी जेडीयू और आरजेडी के बीच दलित नेताओं को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है. दोनों ही पार्टी खुद को अल्पसंख्यकों का मसीहा बता रही है. इसी क्रम में गुरुवार को आरजेडी प्रदेश कार्यालय में आरजेडी के दलित विधायकों का प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया, जिसमें श्याम रजक, उदय नारायण चौधरी, रमई राम समेत अन्य नेता शामिल हुए.
पीसी के दौरान उदय नारायण चौधरी ने कहा, " डबल इंजन की सरकार में दलित-पिछड़ों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुआ है. इस सरकार में दलित और आदिवासी छात्रों की छात्रवृत्ति बंद कर दी गई. इस समाज के सरकारी नौकरियों में बैकलॉग के पद को नहीं भरा गया. बिहार में ट्रैप केस में दलित और आदिवासी को पकड़ा गया है. 167 दलित आदिवासियों को अधिकारियों और पाधिकारियो को ट्रैप में पकड़ा गया. बिहार में शराबबंदी कानून के तहत 70 हजार दलितों पर केस दर्ज हुआ."
इधर, पीसी के दौरान रमई राम ने कहा, " नीतीश सरकार ने दलितों का दलित और महादलित के रूप में बंटवारा किया जो किसी सरकार ने नहीं किया. नीतीश सरकार में दलितों को जमीन नहीं दी जा है. मैं नीतीश कुमार को चैलेंज करता हूं, दलितों को दी गई जमीन पर उनका कब्जा नहीं है, अगर सरकार कब्जा दिखा देती है तो मुझे फांसी दे दिया जाए."
इधर, हाल ही में जेडीयू छोड़ आरजेडी में शामिल हुए पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा, " नीतीश सरकार में दलितों पर अत्याचार का आंकड़ा बढ़ गया है. 2005 में यह 7% था अब वह बढ़कर 17% हो गया है. बिहार दलितों के अत्याचार मामले में तीसरे स्थान पर है. मैं जो आंकड़ा दे रहा हूं वह भारत सरकार का आंकड़ा है. "
उन्होंने कहा, " आरक्षण में प्रोन्नति का मामला 11 साल से लंबित है. नई शिक्षा नीति के तहत दलित और वंचित शिक्षक नहीं बन पाएंगे क्योंकि शिक्षण संस्थान निजी हाथों में जा रहे हैं." बिहार सरकार के नौकरियों में बैकलॉग पर श्याम रजक ने कहा, " सरकार कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम लेने का काम कर रही है. आरक्षित पदों को भी कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम लेकर भरने का काम कर रही है. बिहार के बजट का मात्र 11% ही खर्च हुआ है."
उन्होंने कहा, " बिहार में अधिकारियों के बीच पैसों का बंदरबांट हो रहा है. बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के पुलिस चयन आयोग में कोई भी सदस्य अनुसूचित जाति जनजाति का नहीं है."
इस दौरान आरजेडी विधायक शिवचंद्र राम ने कहा , " बिहार सरकार ने गरीब और एससी-एसटी वर्ग के लोगों पर कुठाराघात किया है. बिहार में अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को मंदिर नहीं जाने दिया जा रहा है. केंद्र और राज्य दोनों सरकार मिलकर आरक्षण को खत्म करने की कोशिश कर रही है. आरक्षण से जुड़े हुए जो भी बिंदु हैं उसे संविधान के 9वीं सूची में शामिल किया. महादलित आयोग का गठन किया गया, लेकिन उसके सदस्य और अध्यक्ष कौन हैं?
उन्होंने कहा, " बीपीएससी में एससी-एसटी का कोई सदस्य नहीं है. सदस्य बनाने को लेकर हमने 2016 से मांग की है. एससी-एसटी के नाम पर योजना जरूर बनती हैं, मगर उन्हें फायदा नहीं मिलता है." नीतीश सरकार से शिवचंद्र राम ने पूछा, " सभी सरकारी विभागों में एससी-एसटी के लिए कल्याणकारी कार्य के लिए 20% अतिरिक्त फंड आता है. जब से आप की सरकार आई है तब से अपने फंड से कितना खर्च किया है?"
इधर, आरजेडी के दलित विधायकों के प्रेस कॉन्फ्रेंस पर हमला बोलते हुए जेडीयू नेता और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा, " उदय नारायण चौधरी को नीतीश कुमार ने 2 बार विधानसभा में अध्यक्ष बनाया, जीतन राम मांझी को अपनी कुर्सी दे दी, श्याम रजक को लंबे समय तक मंत्री बनाये रखा. आज ऐसे लोग सीएम नीतीश पर आरोप लगा रहे हैं, जिनकी अपनी राजनीति की इक्षा पूरी नहीं हुई तो दल बदल दिया."
उन्होंने कहा, " देश में दलितों के सबसे बड़े हितैसी सीएम नीतीश कुमार हैं. पूरे देश में बिहार में सबसे ज्यादा दलितों के लिए काम हुआ है. हिम्मत है तो आंकड़ों पर बहस कर लें. कल्याण विभाग का बजट 40 करोड़ से बढ़ा कर 1600 करोड़ किया गया. 2007 में पहली बार SC ST विभाग बनाया गया. 2008 में महादलित विकास मिशन बनाया गया. सीएम नीतीश कुमार ने दलितों को पंचायती राज में आरक्षण दिया. दलित छात्रों को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड दिया गया. SC-ST छात्रों के स्कॉलरशिप को 72.71 करोड़ से बढ़ा कर 428 करोड़ किया गया."