Army Recruitment: केंद्र के जवाब पर फिर भड़के उपेंद्र कुशवाहा, कहा- परंपरा के नाम पर इसे बनाए रखने का कुतर्क क्यों?
भारतीय सेना में भर्ती के लिए जाति प्रमाणपत्र मांगे जाने को लेकर सियासत जारी है. केंद्र की सफाई के बाद एक फिर जेडीयू नेता ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पर निशाना साधा है.
पटना: सेना बहाली में जाति और धर्म पूछे जाने को लेकर जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) से स्पष्टीकरण मांगा था. उपेंद्र कुशवाहा ने सीधे-सीधे कहा था कि इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को या सेना से जुड़े किसी अधिकारी को इसके बारे में बताना चाहिए. इसपर केंद्र सरकार ने अपनी सफाई दी है, जिस पर जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा फिर से भड़क गए हैं.
उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "सवाल यह नहीं है कि सेना में जाति-धर्म जानने की प्रथा की शुरुआत कब से हुई. सीधा-सा सवाल तो यह है कि आखिर इसका औचित्य व प्रसांगिकता है ही क्या? अगर अप्रासंगिक परंपरागत कानूनों को समाप्त किया जा सकता है, तो परंपरा के नाम पर इसे बनाए रखने का कुतर्क ही क्यों?"
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तेजस्वी यादव ने भी केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर घेरा
बता दें कि भारतीय सेना में भर्ती के लिए जाति प्रमाणपत्र (Caste Certificate) मांगे जाने को लेकर मंगलवार को संसद में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने सरकार पर इस मुद्दे को लेकर हमला बोला. वहीं, बीजेपी सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने भी सेना भर्ती के लिए जाति प्रमाणपत्र मांगे जाने पर चिंता जताई थी. वहीं, सरकार ने इसे अफवाह करार दिया.
BJP ने लगाया युवाओं को उकसाने का आरोप
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, 'मैं साफ करना चाहता हूं कि यह एक अफवाह है. आजादी से पहले जो (भर्ती) व्यवस्था थी, वह अब भी जारी है और उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.' इधर, बीजेपी इन आरोपों को भारतीय सेना का अपमान बता रही हैं. बीजेपी का कहना है कि देश के युवाओं को प्रदर्शन करने के लिए भड़काने की कोशिश की जा रही है.