Bihar News: अरवल (Arwal) जिला बिहार (Bihar) के मगध मंडल का सबसे छोटा जिला है. ये जिला गया (Gaya) जिले के ठीक उत्तर में स्थित है. बिहार के दक्षिणी भाग में स्थित ये जिला 2001 में जहानाबाद (Jehanabad) से अलग होकर अस्तित्व में आया. 


इतिहास



  • गया मंडल के अन्य जिलों की तरह अरवल भी बिहार के नक्सल (Naxalite) प्रभावित जिलों में रहा है. 1997 से ही ये जिला रणवीर सेना (Ranvir Sena) और दलितों के संघर्ष की भूमि रहा है.

  • 25 जनवरी 1999 को यहां पर शंकर विगहा नरसंहार हुआ. पूरे राज्य में इसकी खूब चर्चा हुई. तब सीएम राबड़ी देवी (Rabri Devi) सहित अन्य नेता यहां आए थे. उसके बाद अगस्त 2001 में अरवल को जिला बनाया गया. उससे पहले ये जहनाबाद का अनुमंडल हुआ करता था. 


आबादी



  • 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य का तीसरे सबसे कम आबादी वाला जिला है.

  • अरवल जिले की कुल आबादी 7,00,843 है. जिसमें से पुरुष (Male) की जनसंख्या 3,63,497 और महिलाओं (Female) की जनसंख्या 3,37,346 है.

  • जिले की कुल आबादी में से 67.43 फीसदी आबादी साक्षर है. जिसमें पुरुष साक्षरता दर 79.06 फीसदी और महिला साक्षरता दर 54.85 फीसदी है.

  • इस जिले में कुल एक हजार पुरुषों पर महिलाओं का अनुपात 928 है. 


क्षेत्र



  • अरवल जिले का कुल क्षेत्रफल 634.25 वर्ग किमी है. जिसमें से 495.20 वर्ग किमी क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है.

  • अरवल जिले के अंतर्गत पांच प्रखंड अरवल (Arwal), कलेर (Kaler), करपी (Karpi), कुर्था (Kurtha) और बंशी हैं. जबकि जिले में 65 पंचायतों के अंदर कुल 335 गांव स्थित हैं.

  • इस जिले में दो विधानसभा अरवल और कुर्था हैं वहीं ये जिला जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. 


भाषा



  • मगह मंडल का हिस्सा रहे अरवल जिले की मुख्य भाषा हिंदी (Hindi) और मगही (Magahi) है.

  • मगही यहां की स्थानीय भाषा भी है. हालांकि भोजपुर (Bhojpur) जिले से जुड़े होने के कारण कुछ पंचायतों में भोजपुरी (Bhojpuri) भाषा का भी प्रचलन है. 


नदी



  • इस जिले में केवल सोन नदी (Sone River) है. जहां से लाल बालू (Sand) का बड़ी मात्रा में खन्न होता है.


धार्मिक स्थल



  • जिले की प्रमुख धार्मिक स्थल मखदुम शाह का मजार को माना जाता है. जो कि जिले की एक मात्र नदी सोन के तट पर स्थित है.

  • कहा जाता है कि 13वीं शताब्दी में यहां मखदुम साहब आए थे. इसके अलावा फखरपुर पंचायत में स्थित फखरपुर मंदिर भी हिंदूओं का धार्मिक स्थल है. 


अर्थव्यवस्था



  • कृषि योग्य भूमि की अधिकता होने एवं मिट्टी के उपजाऊ होने के कारण कृषि अरवल जिले की अर्थव्यवस्था और लोगों की आय का प्रमुख जरिया है.

  • यहां की प्रमुख फसलों में धान,गेहूं एवं मक्का है. इसके अलावा यहां कुछ दलहन फसलों की खेती भी होती है. हालांकि अब बालु खन्न भी यहां के अर्थव्यवस्था में आय का एक स्त्रोत है.  


ट्रांसपोर्ट



  • यातायात व्यवस्था की बात करें तो ये जिला राजधानी पटना सहित सीमावर्ती जिलों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है.

  • राजधानी पटना से अरवल जिला मुख्यालय की दूरी करीब 65 किमी है. इस जिले से नेशनल हाईवे 139 होकर गुजरती है.


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