(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'कुछ लोग शंकराचार्य...', भूमिहार' वाले बयान पर अशोक चौधरी ने दी सफाई, JDU में अंदरूनी कलह का दिए संकेत
Ashok Choudhary News: बिहार में मंत्री अशोक चौधरी के 'भूमिहार' पर दिए गए बयान पर बहस छिड़ गई है. इस प्रकरण पर जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार के बयान पर अशोक चौधरी ने इशारो-इशारों में बहुत कुछ कह गए.
Ashok Choudhary: जहानाबाद में भूमिहारों पर दिए गए भाषण को लेकर मंत्री अशोक चौधरी के खिलाफ जेडीयू में ही सवाल खड़े होने लगे हैं. वहीं, इस पूरे मामले पर अशोक चौधरी ने शनिवार को एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की. उन्होंने कहा संगठन का आदमी हूं. छात्र राजनीति से मैं आया हूं. एनएसयूआई का अध्यक्ष रहा. मैं मानता हूं कि जब तक पार्टी सिंबल किसी व्यक्ति को नहीं मिलता वह व्यक्ति जात का होता है. सिंबल मिलने के बाद वह व्यक्ति पार्टी का होता है मेरे बोलने का भाव था पार्टी को जात में मत बांटिए, लेकिन कुछ लोग शंकराचार्य हो गए हैं.
वहीं, अपने दामाद को घोसी सीट से चुनाव लड़ाने पर अशोक चौधरी ने कहा कि क्या मेरा दामाद सायन कुणाल कमला हैरिस और पुतिन हो गए हैं? हम जहां भी जाते हैं वहां यही चर्चा होती है कि दामाद के लिए सीट चाहते हैं. मेरा दामाद लॉ करके लॉ फर्म चला रहा है. मेरे कंधे पर बैठकर मेरे दामाद का शिकार मत कीजिए. आगे उन्होंने कहा कि हम भूमिहार को इसलिए अच्छे से जानते हैं क्योंकि मेरे पिताजी को भूमिहार शिक्षकों ने पढ़ाया. मेरी बेटी की शादी भूमिहार के यहां हुई. किशोर कुणाल से कोई बड़ा भूमिहार है क्या?
'किसी जाति पर कुछ गलत नहीं कहा'
अशोक चौधरी ने कहा कुछ लोग पार्टी में रहकर पार्टी को कमजोर कर रहे हैं. पार्टी को जात के नाम पर बांट रहे हैं. बिना नाम लिए अशोक चौधरी ने जेडीयू एमएलसी पर नीरज कुमार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि हमने किसी जाति विशेष को ठेस नहीं पहुंचाया है. जनता दल यूनाइटेड में रहते हुए कुछ लोगों ने 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी का साथ नहीं दिया. मेरे पूरे बयान को देखिए मैंने कहीं भी किसी जाति पर कुछ गलत नहीं कहा.
ललन सिंह को लेकर क्या बोले अशोक चौधरी?
आगे जेडीयू मंत्री ने कहा कि चुनाव जब हो रहे थे तो लोगों ने ललन सिंह को मुंगेर में भूमिहार बना दिया, चंदेश्वर चंद्रवंशी को अति पिछड़ा बना दिया. मंडल कमीशन के वक्त से समता पार्टी तक ललन सिंह नीतीश कुमार के साथ अति पिछड़ा और पिछड़ा के लिए लड़ते रहे, लेकिन चुनाव में पिछड़ा और अतिपिछड़ा के लोगों ने अशोक महतो को वोट दे दिया. हमने जाति विशेष पर नहीं बल्कि उस भावना के खिलाफ बोला है. सामान्य लोग ऐसी बात करें तो ठीक लेकिन जो लोग पार्टी में हैं वह क्यों नहीं चुनाव में अपनी ताकत पार्टी के लिए लगाए?
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