Aurangabad News: तीन महीना पूर्व मृत हुए लोगों को भी दी जा रही कोविड-19 की बूस्टर डोज, मोबाइल पर आया मैसेज
औरंगाबाद शहर में कई ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके मोबाइल पर प्रीकॉशन डोज लिए जाने का मैसेज आया है. जिन्होंने डोज नहीं लिया है, उनके मोबाइल पर भी प्रीकॉशन डोज लिए जाने का मैंसेज आया है.
औरंगाबाद: जिले में अजीबो गरीब घटना देखने को मिली है, जहां यमलोक से आकर एक शख्स ने अपना बूस्टर डोज लिया और वापस चला गया. इतना ही नहीं शख्स के द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर पर भी बूस्टर दिए जाने का मैसेज आ गया और सर्टिफिकेट डाउनलोड करने के लिए भी कहा गया. यह हम नहीं कह रहे हैं. यह भारत सरकार के द्वारा कोविड-19 के लिए बनाए गए कोविड पोर्टल पर आए मैसेज से जानकारी मिली है. दरअसल, बालूगंज के रहने वाले 57 वर्षीय रामनाथ प्रसाद की तीन अप्रैल को तबीयत अचानक खराब हुई और उनकी मौत हो गई. इसके बाद नगर परिषद ने 13 अप्रैल को उनका मृत्यु प्रमाण पत्र भी निर्गत कर दिया, लेकिन गुरुवार सात जुलाई को 12:44 पर उनके द्वारा कोविड-19 का प्रीकॉशन डोज लिए जाने की सूचना प्राप्त हुई.
यह खबर जैसे ही आसपास के लोगों को लगी सबों ने आश्चर्य व्यक्त किया कि आखिर यह कैसे हुआ? साथ ही व्यंग्यात्मक भरे लहजे में कुछ लोगों ने कहा कि शायद यमलोक में भी मृतकों की आत्माओं को यमराज द्वारा कोविड-19 के सारे डोज लिए जाने का आदेश दिया गया होगा. क्योंकि कोरोना के कारण हुई मौत के बाद लाखों लोग अभी यमलोक में ही आश्रय जमाए बैठे हैं. वहां भी कोविड के खतरे को देखते हुए यमराज ने यह आदेश जारी किया गया होगा. उन्हीं के आदेश पर स्वर्गीय राम नाथ प्रसाद ने धरती पर आकर अपना बूस्टर डोज लिया और चलते बने.
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कई लोगों के मोबाइल पर प्रीकॉशन डोज लिए जाने का मैसेज
यह मैसेज सिर्फ मृतक के परिजनों को ही नहीं प्राप्त हुआ है, बल्कि शहर में आज कई ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके मोबाइल पर प्रीकॉशन डोज लिए जाने का मैसेज आया है. जिन्होंने प्रीकॉशन डोज नहीं लिया है, उनके मोबाइल पर भी डोज लिए जाने का मैंसेज आया है. इसके बाद से ही लोगों के जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर बिना प्रीकॉशन डोज लिए मैसेज कैसे आ रहा है? जरूरत है इसके जांच की.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताई तकनीकि समस्या
इस संबंध में जब स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम डॉक्टर कुमार मनोज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कुछ तकनीकी समस्या है, जिसके कारण ऐसे मैसेज कोविड पोर्टल से आ रहे हैं. इसकी जानकारी पोर्टल से जुड़े अधिकारियों को भेजी जा रही है, ताकि इसमें सुधार किया जा सके.