औरंगाबाद सदर अस्पताल परिसर में हाई वोल्टेज ड्रामा, आशा कार्यकर्ता द्वारा खून की कालाबाजारी का भंडाफोड़
सदर अस्पताल में भर्ती एक महादलित महिला मरीज के परिजनों से दो यूनिट ब्लड के नाम पर आशा कार्यकर्ता ने ऐंठ ली मोटी रकम और अस्पताल के ब्लड बैंक में चल रहे रक्तदान शिविर से मुफ्त ब्लड लाकर महिला को चढ़वाने लगी. मामले के खुलासे के बाद जमकर हुआ हंगामा.
औरंगाबाद: औरंगाबाद जिले में कुछ प्राइवेट नर्सिंग होम में खून बेचे जाने का अवैध कारोबार पहले से हीं चला आ रहा है लेकिन अब सदर अस्पताल भी इससे अछूता नहीं रह गया है.सदर अस्पताल में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां खून की कमी से जूझ रही सदर अस्पताल में भर्ती एक महादलित महिला मरीज के परिजनों से दो यूनिट ब्लड के नाम पर आशा कार्यकर्ता ने पैसे ऐंठ ली मोटी रकम और अस्पताल के ब्लड बैंक में चल रहे रक्तदान शिविर से मुफ्त ब्लड लाकर महिला को चढ़वाने लगी. मामले के खुलासे के बाद जमकर हुआ हंगामा.
ब्लड के लिए लिए गए 11 हजार रुपये
प्राप्त जानकारी के अनुसार औरंगाबाद मुख्यालय स्थित महावीर नगर की एक आशा कार्यकर्ता अंजली ने सदर अस्पताल में भर्ती महिला मरीज के परिजनों से खून दिलाने के नाम पर 11 हजार वसूल लिए. इस बात का खुलासा तब हुआ जब महिला मरीज की भाभी शोभा देवी ने इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के एक महिला अधिकारी को दी. महिला अधिकारी ने जब इसकी जांच की तो पूरा मामला सामने आ गया.
इधर मामले की जानकारी के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया और यह बात महिला को ब्लड डोनेट करने वाले सामाजिक संस्था संस्कार भारती के सदस्य सचिन सिन्हा को लगी कि डोनेट करने वाले के नाम पर भी पैसे लिए गए हैं तो उन्होंने इसकी तहकीकात शुरू की और पूरे मामले का भंडाफोड़ किया.
सदस्यों ने बताया कि उनलोगों ने पराक्रम दिवस के अवसर पर ब्लड डोनेशन कैम्प लगाया गया था उसी वक्त एक महिला आई और पीड़िता की जान बचाने का गुहार लगाते हुए एक यूनिट ब्लड की मांग की. युवक ने पीड़िता की स्थिति को देखकर अपना खून दान की जगह रिप्लेस कर दिया. लेकिन जब उसे यह पता चला कि उसके द्वारा दिये गए खून के नाम पर पांच हजार रुपये लिए गए है तो वह हरकत में आ गए और खून लेने वाली महिला को पकड़ा तो वह शहरी स्वास्थ्य केंद्र की आशा अंजली निकली.
ये है पूरा मामलाबताया जाता है कि मदनपुर थाना क्षेत्र के अटल बिगहा निवासी सोहन राम की पत्नी सोनिया देवी गर्भवती थी और उसका हीमोग्लोबिन 5 ग्राम हो गया था. चिकित्सकों ने उक्त महिला को चार यूनिट ब्लड चढ़ाने की बात कही. महिला को चार यूनिट ब्लड चढ़ाने की बात सुनते हैं दानी बिगहा निवासी मरीज का भाई अशोक राम अपने ही मोहल्ले के आशा कार्यकर्ता अंजली से संपर्क साधा. वह आशा कार्यकर्ता खून की कमी से जूझ रही उस महिला को शहर के एक निजी क्लीनिक में ले गई, जहां चिकित्सक ने खून कमी होने की बात कहते हुए प्रति यूनिट छह हजार रुपए की मांग की.
आशा कार्यकर्ता ने चिकित्सक से दो यूनिट ब्लड के लिए मरीज के भाई से 24 जनवरी को 11 हजार रुपये लेकर पारस क्लिनिक में भर्ती न कराकर उसे सदर अस्पताल में लाकर भर्ती करा दिया और यहां से वह ब्लड बैंक पहुंची जहां रक्तदान कर रहे लोगों से महिला की पीड़ा बताई.
महिला की पीड़ा सुनकर रक्तदान कर रहे युवक सचिन सिन्हा ने अपना ब्लड दान करने के बजाए रिप्लेसमेंट कर दिया. जिसके कारण महिला को सदर अस्पताल में एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया. लेकिन जब इसकी जानकारी सदस्यों को हुई कि ब्लड के लिए पैसे लिए जा चुके है तो उसकी छानबीन शुरू की, और आशा कार्यकर्ताओं को पकड़कर और उससे पैसा वापस करवाया.सदर अस्पताल परिसर में इस दौरान लगभग तीन घण्टे तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला.
ऐसे होती है शहर में ब्लड की कालाबाजारी
सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में शहर की सामाजिक संस्थाओं, समाजसेवियों एवं व्यक्तिगत रूप से किसी पर्व त्योहार,पुण्य कार्य पर लोगों द्वारा रक्तदान किये जाते हैं.ब्लड बैंक से प्रतिदिन जिले के विभिन्न अस्पतालों में चिकित्सक के रिक्युजिशन पर एक डोनेशन के बाद एक यूनिट ब्लड भेजे जाते हैं.ब्लड बैंक में रक्तदान करने वाले लोगों को एक डोनर कार्ड मिलता है और वह उस डोनर कार्ड के आधार पर उसे जमा कर एक यूनिट ब्लड किसी को भी सदर अस्पताल से निशुल्क दिला देते हैं. ब्लड के कालाबाजारी का खेल इसी डोनर कार्ड के द्वारा शहर के निजी नर्सिंग होम वाले इमोशनली ब्लैकमेल कर खेल जाते है, जिसका पता किसी को नही चलता है.
लगातार मिलती है इसकी शिकायत पर नही होती कार्रवाई
जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित नर्सिंग होम द्वारा ब्लड के नाम पर पैसे लिए जाने का मामला बराबर संज्ञान में आते रहते है लेकिन कोई ठोस जानकारी के आभाव में किसी पर न तो आपराधिक मामले दर्ज हुए है और न ही कोई कार्रवाई हुई है. ऐसे में यह धंधा जिले में काफी फल फूल रहा है.
सिविल सर्जन डॉ अकरम अली ने इस बाबत बताया कि ब्लड बैंक से यदि बाहर रक्त जाता है तो एक यूनिट के लिए एक डोनर पर ही एक यूनिट रक्त दिया जाता है और उसके लिए पांच सौ की प्रोसेसिंग चार्ज ली जाती है. हां यदि कोई डोनर किसी को अपना डोनेट किया हुआ रक्त देता है तो मरीज को सिर्फ प्रोसेसिंग चार्ज देना पड़ता है.
सीएस ने बताया कि सदर अस्पताल में भर्ती मरीज के लिए सिर्फ डोनर की आवश्यकता है उसके लिए कोई शुल्क नही लिया जाता है. इतना ही नही अस्पताल में किसी गर्भवती महिला का प्रसव के दौरान ऑपरेशन के वक्त खून की जरूरत है तो उन्हें निशुल्क ब्लड दिए जाते है और कोई शुल्क नही लिए जाते.
सीएस ने जिलेवासियों से अपील की है कि यदि किसी को ब्लड की जरूरत पड़ती है तो वह सीधा ब्लड बैंक से संपर्क करें. जिले में ब्लड बेचे जाने के मामले में सीएस ने बताया कि यदि किसी के द्वारा इसका कम्प्लेन किया जाएगा तो उसपर अवश्य कार्रवाई की जाएगी.