Baba Bageshwar: बिहार के बांका पहुंचे बाबा बागेश्वर ने रविवार को करीब आधे घंटे से भी अधिक समय तक अपने भक्तों के हिंदुत्व का पाठ पढ़ाया. वहीं दर्शक दीर्घा से अपने कई भक्तों को मंच पर बुलाया, जिसमें हाथों में उनकी खुद से बनाई तस्वीर के साथ खड़े दो-तीन बच्चों के अलावे एक स्थानीय पत्रकार की मां शामिल थीं. जो बड़े ही प्यार से बाबा को देने के लिए एक अंगवस्त्र साथ लाई थीं. 


'हम राम-रहीम दोनों को मानते हैं'


वहीं इस दौरान उन्होंने कहा, 'मेरे पागलों... लोगों को लगता है कि हम तोड़ने आए हैं, सच तो ये है कि हम हिंदुओं को जोड़ने आए हैं. लोगों को लगता है कि हम नफरत फैलाते हैं, हम नफरत नहीं हम प्रेम के आदि हैं, गर्व से कहते हैं कि हम हिंदुत्ववादी हैं. फिर उन्होंने कहा कि लोगों को लगता है कि हम हिंदू-मुसलमान करते हैं. बांका में मुसलमान परिवार भी बहुत रहते हैं. देश सबका है, सबको रहना चाहिए. हम राम-रहीम दोनों को मानते हैं. अब्दुल कलाम को भी मानते हैं, लेकिन गजवा-ए-हिंद को नहीं मानते हैं.


उन्होंने कहा तुम गजवा-ए-हिंद कहोगे, हम भगवा-ए-हिंद कहेंगे. तुम देश को तोड़ने की बात करोगे, हम हिंदुओं को जोड़ने की बात कहेंगे. मेरे पागलों, हम तुम्हें भड़काने नहीं आए हैं. हम बांका आए ये हमारा सौभाग्य जागा है. उन्होंने मंच से हिंदू एकता का संदेश देते हुए कहा कि 'हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए हमें सबसे पहले जात-पात की भावना छोड़नी होगी'.


जात-पात से उपर उठने की कही बात


उन्होंने आगे एक वाक्या सुनाया कि एक व्यक्ति ने आज हमें दिल्ली से फोन लगाया और कहा, 'महाराज जब भारत में 80% हिंदू रहते हैं, तो ये हिंदू राष्ट्र क्यों नहीं है? हमने कहा, 'ठठरी के परे, इस देश में हिंदू कम रहते हैं, यहां तो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या सेवक रहते हैं. जिस दिन ये राष्ट्र जात-पात, छूआछूत से ऊपर उठ जाएगा, उसी दिन ये हिंदू-राष्ट्र कहलाएगा'.


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