बिहारः आरा में सरकारी व्यवस्था भगवान भरोसे, बेड फुल; अब फर्श पर ही मरीजों को चढ़ाया जा रहा ऑक्सीजन
मरीज के भाई ने बताया कि इमरजेंसी वार्ड में आने पर डॉक्टर से भर्ती करने के लिए गुहार लगाई. डॉक्टर ने कहा कि इमरजेंसी में बेड फूल हैं. ऑक्सीजन चढ़वाना जरूरी था इसलिए फर्श पर ही ऑक्सीजन चढ़वा रहे हैं.
आरा: बिहार सरकार के लाख दावों के बाद भी आरा में स्वास्थ्य सेवा बदहाल है. लाख कोशिशों के बावजूद भी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने में अस्पताल प्रशासन विफल है. इसका खामियाजा अब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. शनिवार को स्थिति ऐसी हो गई कि दो मरीजों को फर्श पर लेटाकर ऑक्सीजन चढ़ाना पड़ा.
बताया जाता है कि आरा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में कुल दस बेड लगे थे जो फुल हैं. यहां एक भी बेड खाली नहीं था. करीब चार मरीज बेड के अभाव में फर्श पर ऑक्सीजन चढ़वाने के लिए विवश थे. बक्सर जिले के सिमरी निवासी जटाधारी पासवान इलाज कराने के लिए आरा के किसी प्राइवेट अस्पताल में आए थे. इस दौरान सांस लेने में परेशानी बढ़ने के बाद परिजन आरा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंच गए.
मरीज के भाई ने बताया कि इमरजेंसी वार्ड में आने पर डॉक्टर से भर्ती करने के लिए गुहार लगाई. डॉक्टर ने कहा कि इमरजेंसी में बेड फूल हैं. ऑक्सीजन चढ़वाना जरूरी था इसलिए फर्श पर ही ऑक्सीजन चढ़वा रहे हैं. खांसी व सांस की बीमारी से परेशान हैं. तीन अप्रैल को कोविड का टीका भी पड़ा था. उसके बाद तबीयत बिगड़ गई.
कैलाश नगर से आई महिला को भी फर्श पर कराना पड़ा इलाज
आरा शहर के गोढ़ना रोड, कैलाश नगर निवासी रामेश्वर राय की 58 वर्षीय पत्नी प्रभादेवी भी सांस की बीमारी से परेशान थी. परिजन इलाज के लिए सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लकेर पहुंचे. डॉक्टर ने देखने के बाद ऑक्सीजन चढ़ाने की सलाह दी. उस समय इमरजेंसी में एक भी बेड खाली नहीं था. ऐसे में फर्श पर ही ऑक्सीजन चढ़वाना पड़ा.
40 किलोमीटर दूर से आए थे भगवती सिंह
जिला मुख्यालय आरा से करीब 40 किलोमीटर दूर पीरो है. पीरो प्रखंड के रजेयां गांव निवासी भगवती सिंह को सांस लेने में परेशानी थी. स्वजन अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में पहुंचे तो पता चला कि कक्ष में बेड फूल है. कोई विकल्प नहीं था ऐसे में मजबूरन फर्श पर ही ऑक्सीजन चढ़वाना पड़ा. इन तस्वीरों ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है.
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