पटना: बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) को बिहार में इतना प्यार मिला कि वह खुद इसे स्वीकार करते हुए गए हैं. बिहार आने से पहले ही उनकी खुशी तब झलक गई थी जब उन्होंने वीडियो जारी कर भोजपुरी में अपना संदेश दिया था और कहा था कि वो बिहार आ रहे हैं. 13 से 17 मई तक नौबतपुर के तरेत पाली में हनुमंत कथा का आयोजन हुआ था. अपने कार्यक्रम के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने कई बार भक्तों के लिए पागल शब्द कहा था. कथा के अंतिम दिन यानी जाते-जाते वो अपनी भाषा में इसका मतलब भी समझा गए.


बाबा ने क्या बताया पागल का मतलब?


धीरेंद्र शास्त्री ने 17 तारीख को अंतिम दिन की कथा सुनाई थी. इससे पहले उन्होंने कई बार कथा में आए भक्तों से उन्होंने पूछा था- 'कैसे हो बिहार के पागलों?'. भक्तों की ओर इशारा करते हुए यह भी कहा कि ये जो भी आए हैं सभी पागल हैं. कथा के अंतिम दिन धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि देखो पागल का मतलब मैं मेंटल नहीं कह रहा था. पागल का मतलब है जो प्रभु को पाकर उनमें गल जाए उसी का नाम है पागल. बाबा बागेश्वर ने कहा- 'एक संत कहते थे, इन बिगड़े दिमागों में भरे अमृत के लच्छे हैं, अरे हमें पागल ही रहने दो, ऐसे पागल ही अच्छे हैं.'


बाबा के कार्यक्रम में उमड़ी थी लाखों की भीड़


कथा स्थल पटना शहर से काफी दूर होने के बाद लाखों की संख्या में हर दिन लोग बाबा का प्रवचन सुनने के लिए पहुंच रहे थे. एक अनुमान के मुताबिक करीब पांच लाख के आसपास लोग कथा सुनने के लिए पहुंच रहे थे. बागेश्वर बाबा भी भक्तों की भीड़ देखकर गदगद होकर गए हैं.


बता दें कि बाबा बागेश्वर के इस कार्यक्रम से पहले कहीं विरोध हो रहा था तो कहीं उन्हें समर्थन मिल रहा था. राजनीति और बयानबाजी बिहार में जमकर हुई लेकिन कार्यक्रम में उम्मीद से ज्यादा भीड़ हुई थी. लोग पंडाल के बाहर तक खड़ा होकर बाबा को सुनते दिखे थे.


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