बांका: जिले के शंभूगंज प्रखंड क्षेत्र के गुलनी-कुशवाहा के रहने वाले बीएसएफ जवान चंदन कुमार सिंह का शव गुरुवार की रात उनके गांव पहुंचा. तिरंगे में शव पहुंचने की खबर सुनते ही जनसैलाब उमड़ पड़ा. गुलनी-कुशाहा गांव सहित आसपास के गांव के पांच सौ से ज्यादा युवाओं की टोली हाथ में तिरंगा लिए शव को गांव लाने के लिए मुंगेर जिले के तारापुर सीमा पर बाइक व अन्य वाहनों से पहुंच गई.
गांव में हजारों की संख्या में उमड़े जनसैलाब के बाद शहीद चंदन अमर रहें आदि नारे लगाए जाने लगे. शव आने के बाद ताबूत को जब घर के दरवाजे पर लाया गया तो लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े. परिवार के लोग दहाड़ मारकर चीख पड़े. वृद्ध पिता नारद सिंह के बुढ़ापे का एकमात्र सहारा शहीद चंदन ही था. जवान की पत्नी मोनी कुमारी बदहवास हो चुकी थी.
साथियों को हमेशा नए-नए तरकीब सिखाते थे चंदन
शव लेकर आए बीएसएफ के जवानों ने नम आंखों से कहा कि चंदन कुमार सिंह एक बहादुर जवान थे. वो हमेशा अपने साथियों को दुश्मनों से लोहा लेने व लड़ने की नए-नए तरकीब बताते थे. उनको खोने का पूरा बटालियन को मलाल है.
अमृतसर के अटारी बॉर्डर पर थे तैनात
बीएसएफ के अधिकारियों के अनुसार मंगलवार 24 अगस्त की शाम पंजाब के अमृतसर के अटारी बॉडर पर धरीबाल बीओपी पर ड्यूटी पर तैनात चंदन कुमार सिंह ने खुद ही अपनी सर्विस राइफल से गोली मार ली थी. वो बीएसएफ के 144 बटालियन में तैनात थे.
हालांकि परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि चंदन खुदकुशी करने वाले जवानों में से नहीं बल्कि देश सेवा का जजबा रखने वाला जवान था. शुक्रवार की सुबह सुल्तानगंज में गंगा नदी के घाट पर अंतिम संस्कार हुआ. पुत्र अंश कुमार ने मुखाग्नि दी. इस दौरान बीएसएफ के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया.
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