बांका: दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक (South Bihar Gramin Bank) की ओर से बांका में कुछ लोगों को बगैर ऋण दिए ही वारंट जारी कर दिया गया है. हैरान करने वाला मामला बाराहाट प्रखंड क्षेत्र के बभनगामा गांव से सामने आया है. बीते सोमवार (11 दिसंबर) को लोगों ने शाखा प्रबंधक एवं बैंक कर्मियों के खिलाफ जमकर हंगामा किया था. बैंक का कार्य दिनभर ठप रखा था. पढ़िए फर्जीवाड़े की पूरी इनसाइड स्टोरी जिसके चलते कई लोग परेशान हो गए हैं.


क्या है पूरा मामला?


बाराहाट प्रखंड के बभनगामा गांव स्थित दक्षिण बिहार बैंक द्वारा वर्ष 2013 में करीब 300 लोगों को 50-50 हजार रुपए ऋण दिया गया था. बैंक कर्मियों का कहना है कि समय-समय पर सभी ऋण धारकों को मामले की जानकारी देते हुए ऋण वापसी के लिए सूचना दी जाती थी. समय सीमा के बाद सभी ऋण धारकों के खिलाफ कोर्ट द्वारा वारंट जारी किया गया है. वहीं बाराहाट थाना पुलिस ने डीसीएलआर कोर्ट द्वारा जारी वारंट के आधार पर ग्रामीण कारू मांझी एवं कांग्रेस मांझी को इस मामले में गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया है.


वहीं कथित ऋण धारकों का कहना है कि उन्हें बैंक से जारी किए गए ऋण के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. उन्हें बैंक से कभी कोई ऋण नहीं मिला है. इस संबंध में ग्रामीण बनिया देवी, संजय मांझी, दिलीप मांझी आदि ने बताया कि उन्होंने कभी भी किसी प्रकार का बैंक से कर्ज नहीं लिया है. इसके बावजूद उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया है. पुलिस बेवजह गिरफ्तारी के लिए पहुंच रही है.


बिचौलिए ने कर दिया खेल?


ग्रामीणों ने बताया कि बैंक में कई बिचौलिए हैं, जिन्होंने शायद ग्रामीणों के नाम पर खुद ऋण ले रखा है और अब ऋण वापसी के लिए दबाव डाला जा रहा है. ग्रामीणों ने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.


इस संबंध में बैंक प्रबंधक अमृतांशु कुमार ने बताया कि वर्ष 2013 में 300 लोगों को 50 हजार रुपया प्रति व्यक्ति को ऋण दिया गया था. उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि जिन व्यक्तियों के विरुद्ध वारंट जारी किया गया है, उन सभी का ऋण से संबंधित दस्तावेज भी बैंक में मौजूद हैं. बाराहाट थानाध्यक्ष सुजीत वारसी ने बताया कि डीसीएलआर कोर्ट से जारी किए गए वारंट के आधार पर दो ऋण धारकों को गिरफ्तार किया गया है.


अनुदान के नाम पर हो गई ठगी?


इस पूरे मामले में कुछ ग्रामीणों का कहना है कि वे सब लोग मजदूरी करने वाले हैं. कभी भी बैंक से ऋण लिया ही नहीं है. हालांकि उन्होंने यह बताया कि वर्ष 2013 में गांव के ही कुछ बिचौलियों द्वारा सबको पांच हजार रुपये सरकारी अनुदान मिलने की बात कहते हुए सबको राशि देने के बाद नहीं लौटाने की बात कही गई थी. हो सकता है इसी के तहत फर्जीवाड़ा किया गया हो.


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