बिहार के इस गांव में लड़का वाले लड़की पक्ष को देते हैं 'दहेज', सदियों से चल रही है 13 रुपये वाली परंपरा
Banka News: यह अनोखा गांव बिहार के बांका जिले में है. जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर सोखा पहाड़ के तराई में यह आदिवासी बाहुल्य गांव है. पढ़िए कहानी.
बांका: बिहार के बांका में एक ऐसा आदिवासी बाहुल्य गांव है जहां शादी में लड़का पक्ष की ओर से लड़की वालों को दहेज दिया जाता है. यह अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है. बांका के बेलहर प्रखंड की रंगा पंचायत के वार्ड नंबर 10 श्रीनगर एक ऐसा आदिवासी बाहुल्य गांव है जहां लड़के वाले लड़की वालों को दान स्वरूप 13 रुपये देते हैं.
मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है गांव
बांका जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर सोखा पहाड़ के तराई में यह आदिवासी बाहुल्य गांव है. यहां रहने वाले वीर सिंह बासुकी और वार्ड की सदस्य बड़की मुर्मू के बेटे सुमन कुमार हेम्ब्रम ने बताया कि यहां 288 घर हैं. 1200 से भी अधिक की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं.
उनके समुदाय में शादी-विवाह के कार्यक्रम में कई ऐसे रीति-रिवाज और परंपरा हैं जो सदियों से चली आ रही हैं. सबसे महत्वपूर्ण परंपरा में से एक है दहेज कुप्रथा के विरोध में कार्य करना. आदिवासी समुदाय में दहेज प्रथा का कोई नियम नहीं है. सदियों से चली आ रही है एक परंपरा को यहां के लोग बड़ी शिद्दत से मनाते चले आ रहे हैं. इसमें लड़कों को दहेज नहीं दिया जाता है बल्कि दूल्हा पक्ष की तरफ से लड़की पक्ष को 13 रुपये दान देने की अनूठी परंपरा है.
ग्रामीण वीर सिंह बासुकी एवं सुमन कुमार हेम्ब्रम ने बताया कि मान्यता है कि आदिवासी समुदाय की एक लड़की ने अपने समुदाय से हट कर दूसरे समुदाय में शादी कर ली थी. काफी दिन बीत जाने के बाद उसके पिता अपनी पुत्री से मिलने के लिए उसके घर गए तो उन्हें वहां स्वागत के रूप में पांच रुपये दिए गए. इसके बाद लड़की की मां भी अपनी पुत्री से मिलने गई तो स्वागत के तौर पर चार रुपये मिले. कुछ इसी तरह उस लड़की की दादी और नानी भी मिलने गई तो उन्हें भी स्वागत के रूप में दो-दो रुपये मिले.
इस तरह से लड़की पक्ष को कुल मिलाकर 13 रुपये प्राप्त हुए. इसके बाद से आदिवासी समुदाय के लोग अपनी लड़की की शादी में स्वयं बारात लेकर लड़के के घर जाने लगे. लड़का पक्ष की ओर से लड़की के पिता को आदिवासी गौनोम रिवाज के अनुसार दान स्वरूप पांच रुपये, लड़की की मां को चार रुपये, लड़की की दादी और नानी को 2-2 रुपये देने की प्रथा शुरू हुई.
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