वादों तक सीमित बुनियादी केंद्र सुविधा, सड़क पर जीने को मजबूर हैं वृद्ध
बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग की ओर से वृद्धों के लिए जो करोड़ों खर्च कर बुनियादी केंद्र बनवाए गए हैं, वह केवल नाम मात्र कर रह गए हैं. वृद्ध लाचार अवस्था में सड़कों, नालो, चौक-चौराहे पर लावारिस अवस्था व असहाय पड़े दिख रहे हैं.
बगहा: बिहार में चुनाव है. चुनाव के मद्देनजर जनसभाओं का दौर जारी है, मंचों से नेता जी कई घोषणाएं कर रहे हैं. हर सभाओं में वृद्धों की भी चर्चा हो रही है. सरकार आने के बाद उन्हें कौन-कौन सी सुविधा दी जाएगी इसका जिक्र किया जा रहा है. लेकिन असलियत में राज्य के वृद्ध की स्थिति दयनीय है.
बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग की ओर से वृद्धों के लिए जो करोड़ों खर्च कर बुनियादी केंद्र बनवाए गए हैं, वह केवल नाम मात्र कर रह गए हैं. वृद्ध लाचार अवस्था में सड़कों, नालो, चौक-चौराहे पर लावारिस अवस्था व असहाय पड़े दिख रहे हैं. ताजा मामला बगहा-2 ब्लाक के कैम्पस का है, जहां एक वृद्ध महिला पिछले 4 महीने से लावारिश अवस्था में रह रही है.
वृद्धा कई बीमारियों से ग्रसित है, लेकिन बगहा प्रशासन को इतना समय नहीं है कि वृद्धा की सुध ले सके. इस संबंध में बगहा-2 बीडीओ से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वृद्धा को किसी माध्यम से द्वारा किसी वृद्धाश्रम ले जाया गया था, लेकिन वह आश्रम से भाग आई. वहीं जब उनसे यह पूछा कि उन्हें कौन से वृद्धाश्रम भेजा गया था तो उनकी बोलती बंद हो गई. अब सवाल यह उठता है जो महीला ना चल सकती है और ना ही देख सकती है वो आश्रम से कैसे भाग गई?
वहीं, इस संबंध में जब विभागीय अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि स्टाफ की भारी कमी है और जो स्टाफ हैं, वह सिर्फ कागजी खानापूर्ति के लिए हैं. ऐसे में एक बात तो साफ है भले ही सरकार घोषणाएं कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर उसकी सच्चाई कुछ और है.