Atul Subhash Suicide: बेंगलुरु में रहकर नौकरी करने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या से समस्तीपुर स्थित उनके गांव में सन्नाटा पसरा है. घर पर कोई नहीं है. परिवार के लोग बेंगलुरु चले गए हैं. अतुल सुभाष समस्तीपुर के पूसा प्रखंड के वैनी पूसा रोड बाजार के रहने वाले थे. अब उनकी मौत के बाद गांव में पड़ोसी भी शोक में डूबे हैं. गांव के लोगों से ही पता चला कि अतुल सुभाष के पिता छत्तीसगढ़ के रहने वाले थे. वे बिहार आकर बसे थे.
अतुल सुभाष के दोस्त संत सुमन ने बताया कि वे दोनों बचपन में क्लास एक से सात तक साथ पढ़े थे. संत सुमन ने कहा कि अतुल बहुत ही अच्छे विचार का लड़का था. बचपन की पढ़ाई पूसा रोड स्थित एक प्राइवेट स्कूल और केंद्रीय विद्यालय पूसा से हुई थी. बाद में वह (अतुल) आगे की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चला गया था.
संघर्षों से भरा है अतुल सुभाष के पिता का जीवन
अतुल सुभाष ने दिल्ली में पढ़ाई पूरी करने के बाद बेंगलुरु में नौकरी की. यहां तक तो सब ठीक था लेकिन बिहार आकर बसने के पीछे लंबी कहानी है. अतुल सुभाष के पिता पवन मोदी का जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा है. बचपन में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया. इसके बाद समस्तीपुर के पूसा रोड बाजार के एक बड़े व्यवसायी सनेहीराम जो उनके रिश्तेदार भी थे उन्होंने पवन मोदी को शरण दी. पवन मोदी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के मूल निवासी थे. जीवन को चलाना था तो बिहार के समस्तीपुर में आकर बस गए.
...और पवन मोदी ने बढ़ा लिया अपना व्यवसाय
बताया जाता है कि पवन मोदी को पूसा रोड लाने के बाद सनेहीराम ने उनसे छोटा सा व्यवसाय शुरू कराया. बाद में अपनी मेहनत और लगन की बदौलत पवन मोदी ने देखते ही देखते अपने व्यवसाय को काफी बढ़ा दिया. इसके बाद आर्थिक स्थिति पहले से और बेहतर हो गई. परिवार की गाड़ी धीरे-धीरे आराम से चल रही थी.
पवन मोदी के दो पुत्र हैं जिनमें से एक अतुल सुभाष थे. अतुल सुभाष के छोटे भाई विकास मोदी दिल्ली में रहकर निजी कंपनी में काम करते हैं. अतुल सुभाष की मृत्यु से पवन मोदी और उनकी पत्नी सदमे में डूबे हैं. उन्होंने अपने पुत्र को बड़े अरमान से पढ़ा-लिखाकर इंजीनियर बनाया था. उन्हें पता भी नहीं था कि उन्हें एक दिन यह सब देखना पड़ेगा.
दूर के चचेरे भाई बजरंग अग्रवाल ने बताया कि पिछले कुछ सालों से अतुल सुभाष अपनी पत्नी को लेकर मानसिक रूप से परेशान रहता था. उन्होंने कहा कि अतुल सुभाष के साथ हुई इस घटना की जानकारी सबसे पहले उनके माता-पिता को हुई थी. इसके बाद माता-पिता और परिवार के लोग बेंगलुरु के लिए निकल पड़े.
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