Bhagalpur Flood: नवगछिया के जहांगीरपुरी बैसी गांव में कोसी ने मचाया कोहराम, नदी के कटाव में कई घर व सैकड़ों टन मिट्टी बहा
अपनी मेहनत से लोगों ने जिन घरों को बनाया था अब खुद उसको तोड़ रहे हैं और ईट सहित घर का सामान साथ लेकर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं, ताकि बाढ़ में यह बह न जाए.
भागलपुर: भारी बारिश के कारण नवगछिया के जहांगीरपुरी बैसी गांव में कोसी नदी उफान पर है. खतरे के निशान से ऊपर नदी बह रही है. कभी भी बाढ़ आ सकता है. तेजी से कटाव जारी है. इस गांव में कोसी का कहर जारी है. कटाव की रफ्तार काफी तेज है. कोसी नदी तीव्र कटाव कर रही है, जिसके कारण देखते ही देखते गांव के तट से सैकड़ो टन मिट्टी जलविलिन हो गई. कई घर कटाव में कोसी नदी में बह गए और कई घर कटाव के कारण किनारे पर लटक गए हैं, जो कभी भी नदी में समा सकते हैं. अपनी मेहनत से लोगों ने जिन मकानों को बनाया था अब खुद उसको तोड़ रहे हैं और ईट सहित घर का सामान साथ लेकर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं ताकि बाढ़ में यह बह न जाए. हालात समान्य होंगे तो ये लोग वापस लौटेंगे और उसी ईट को जोड़-जोड़कर फिर अपना घर बनाएंगे. ग्रामीण भयभीत हैं.
गांव के सरपंच अब्दुल गफ्फार ने कहा तीन चार दिनों से गांव की ये हालत है. कई घर बह गए. प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रहा है. न कोई अधिकारी यहां आता है. कई जगह हम लोगों ने शिकायत की पर किसी ने हमारी नहीं सुनी. ग्रामीणों ने कहा कि हम लोग भूखे हैं. हमारे घर के साथ-साथ दाल-चावल सहित सभी समान नदी में बह गया. सरकार, प्रशासन हमलोगों की कोई मदद नहीं कर रहा है. अल्लाह के भरोसे हमलोगों को छोड़ दिया गया. इस दौरान महिलाएं रो रही थी कि कर्ज लेकर एवं चंदा इकट्ठा करके हम लोगों ने घर बनाया था. हम लोगों का घर नदी में बह गया. हम लोग बर्बाद हो गए. भूखे प्यासे हैं. मरने को मजबूर हैं. सरकार खाना, घर, मुआवजा दे. सुरक्षित जगहों पर ले जाए.
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हथौड़ा लेकर अपना आशियाना खुद ऊजाड़ रहे लोग
बता दें जिनके घर अभी नदी में नहीं बहे हैं उन घरों के मालिक हथौड़ा लेकर अपने घरों को तोड़ रहे हैं ताकि बाढ़ आने पर घर बह न जाए. उन लोगों का कहना है कि सरकार की लापरवाही के कारण हम लोग हथौड़ा लेकर अपना आशियाना ऊजाड़ रहे हैं. बहुत दुखी हैं गांव के लोग ट्रैक्टर, ट्रॉली में घरों का ईट अन्य सामान लेकर दूसरे जगहों पर पलायन कर रहे हैं. छोटे-छोटे बच्चे अपने घर का ईंटा तोड़कर साईकिल पर लादकर ले जा रहे हैं. अभी तक गांव में बाढ़ राहत केंद्र नहीं बनाया गया है और न ही सामुदायिक किचन की शुरुआत पीड़ितों के लिए की गई है.