Bharat Ratna Karpoori Thakur: 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को मरणोपरांत 'भारत रत्न' देने की घोषणा को राज्य में पिछड़ी जातियों, खासकर अति पिछड़ा वर्ग के लोगों का समर्थन हासिल करने और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के सामाजिक समीकरण की काट के भारतीय जनता पार्टी के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.


आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और जेडीयू अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेताओं की इन वर्गों में मजबूत पकड़ को ही एक बड़ा कारण माना जाता रहा है कि बीजेपी अब तक बिहार में उस तरह का प्रभाव दिखाने में असमर्थ रही है जैसा कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में उसका इस समुदाय पर रहा है. हाल में बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण कराया था जिसके मुताबिक ठाकुर की जाति अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) का हिस्सा है. इसके मुताबिक, ईबीसी 36 प्रतिशत हैं जबकि ओबीसी राज्य की कुल आबादी का 27 प्रतिशत हैं. ईबीसी की गिनती में कई मुस्लिम जातियां भी शामिल हैं. जातियों में सबसे अधिक यादव हैं और उनकी आबादी 14.26 प्रतिशत है.


नीतीश कुमार और लालू प्रसाद भी लंबे समय से ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग करते रहे हैं. कर्पूरी ठाकुर के प्रशंसक नीतीश कुमार के लिए माना जाता है कि उन्होंने ईबीसी और गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग के एक बड़े हिस्से का गठबंधन बनाकर राजनीतिक सफलता अर्जित की है. कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को राज्यसभा का सदस्य बनाया जाना भी उनकी इसी रणनीति का हिस्सा रहा है.


क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार?


बिहार के राजनीति के जानकार मानते हैं कि हाल के वर्षों में नीतीश कुमार के राजनीतिक ग्राफ में गिरावट देखी गई है और इसीलिए बीजेपी विभिन्न उपायों के जरिए उनके वोट बैंक को साधने का प्रयास कर रही है. उनके अनुसार, पिछड़े कोइरी समाज से आने वाले नेता सम्राट चौधरी को इसी रणनीति के एक हिस्से के रूप में बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. बीजेपी का मानना है कि ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए जाने से उसके अभियान को और गति मिलेगी.


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