औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद जिला में स्थित सदर अस्पताल के आईसीयू को सूबे के सरकारी अस्पतालों के मॉडल आईसीयू में से एक माना जाता है. लेकिन हाल के दिनों में डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से आईसीयू सुर्खियों में आ गया है. दरअसल, पिछले कई दिनों से अस्पताल में रोस्टर के अनुसार डॉक्टरों की ड्यूटी लगती तो जरूर है. लेकिन ड्यूटी कागजों और रजिस्टरों तक ही सीमित होकर रह जाती है क्योंकि डॉक्टर ड्यूटी पर आना मुनासिब नहीं समझते. खासकर नाईट ड्यूटी के डॉक्टरों को अक्सर ऐसा करते देखा जा रहा है.


नर्सों के भरोसे रहते हैं गंभीर मरीज


इस वजह से सदर अस्पताल का आईसीयू रात में जीएनएम और एएनएम के भरोसे चलता है. रात में डॉक्टरों के गायब रहने की जानकारी कई बार अधिकारियों को दी गई है, लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हो सका. ऐसी ही स्थिति मंगलवार की सुबह उस वक्त दिखाई पड़ी जब एबीपी की टीम आईसीयू की रियलिटी चेक करने के लिए पहुंची.


सिविल सर्जन ने कही ये बात


टीम ने देखा कि आईसीयू के सभी बेड भरे पड़े थे. देखरेख करने के लिए सिर्फ एएनएम और जीएनएम मौजूद थीं. लेकिन डॉक्टर जिन्हें रोस्टर के हिसाब से वहां मौजूद रहना चाहिए था, वह वहां नहीं थे. मरीजों ने बताया कि शाम के बाद यहां डॉक्टर दिखाई नहीं पड़ते. हालांकि, इस संबंध में जब सिविल सर्जन कुमार वीरेंद्र से बात की गई तो उन्होंने अनभिज्ञता व्यक्त करते हुए सारा ठीकरा अस्पताल उपाधीक्षक पर फोड़ दिया.


उन्होंने कहा कि शीघ्र ही व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया जाएगा. गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान यह आईसीयू काफी चर्चा में रहा था, क्योंकि जिस तरीके से इस आईसीयू की शुरुआत की गई थी, उसने अपने आप में पूरे बिहार में एक उदाहरण प्रस्तुत किया था. इसे देखते हुए पूरे बिहार में इसी तर्ज पर आईसीयू शुरू करने की पहल की जाने लगी थी. लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रभाव जिले में कम हुआ डॉक्टर इसके प्रति लापरवाह होते चले गए. अब देखना है कि स्थिति में कब तक सुधार हो पाता है.


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