पटना: बिहार में फिर एक बार भूमि सुधार उप समाहर्ता जमीन से जुड़े टाइटल का फैसला ले सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे लगाने के बाद ये फैसला लिया गया है. दरअसल, राज्य में भूमि विवाद जनित मामलों और समस्याओं का त्वरित व प्रभावशाली ढंग से निपटारे को लेकर और व्यवहार न्यायालयों तथा उच्च न्यायालयों में भूमि विवाद के दायर मामलों में कमी लाए जाने को ध्यान रखते हुए बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम-2009 (BDLR Act-2009) राजस्व एवं भूमि सुधार को विभाग के स्तर से राज्य में लागू एवं फिर से प्रभावी किया गया है. 


उप समाहर्ता को दिए गए ये अधिकार


भूमि विवादों की सुनवाई के लिए भूमि सुधार उप समाहर्ता (DCLR) इस अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकार घोषित किए गए हैं. इस अधिनियम के अन्तर्गत रैयती भूमि के मामलों जैसे अतिक्रमण, अनाधिकृत संरचना निर्माण, सीमा विवाद आवंटित सुयोग्य श्रेणी के बन्दोबस्तधारी के बेदखली का मामला, भू-खण्ड का विभाजन, सर्वे मानचित्र सहित स्वत्वाधिकार अभिलेख में की गई प्रविष्टी में संशोधन से संबंधित मामलों का निराकरण के लिए क्षेत्राधिकार सुनिश्चित किया गया है. 


हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी


दरअसल, बीडीएलआर एक्ट-2009 (Bihar Land Dispute Redressel Act) द्वारा भूमि सुधार उप समाहर्ता को छोटे मोटे रैयती जमीन से जुड़े झगड़े सुलझाने के लिए टाइटल डिसाइड करने का अधिकार दिया गया था. भूमि सुधार उप समाहर्ता फारबिसगंज द्वारा उक्त एक्ट के तहत महेश्वर मंडल नामक शख्स की रैयती जमीन पर विपक्षी पार्टी को एक केस में टाइटल का अधिकार देने का आदेश दिया गया था. 


इस आदेश के के खिलाफ महेश्वर मंडल ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. ऐसे मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साल 2018 में बीडीएलआर एक्ट-2009 की उस धारा जिसमें उप समाहर्ता को टाइटल तय करने का अधिकार दिया गया था उसे क्वाश कर दिया. इस आदेश के बाद भूमि सुधार विभाग सुप्रीम कोर्ट गया. इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सेट असाइड करते हुए मामले को वपास पटना हाई कोर्ट भेज दिया. लेकिन हाई कोर्ट ने फिर बीडीएलआर एक्ट-2009 की उस धारा को नल एंड वॉयड कर दिया. 


हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया


इस आदेश के विरुद्ध बिहार सरकार फिर सुप्रीम कोर्ट गई, जिसमें बीते कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया है. ऐसे में राज्य में भूमि विवाद जनित मामलों की भूमि उप समाहर्ता द्वारा सुनवाई एवं निपटारे की कार्रवाई पुनः प्रारम्भ किया जायेगा.



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